IPL प्लेऑफ के 8 ओवरों में पड़ा सिर्फ 1 चौका, जानिए कैसे खुद से ज्यादा दूसरे गेंदबाजों का भला करते हैं राशिद
शनिवार, 4 जून 2022 (14:05 IST)
अहमदाबाद: टी20 क्रिकेट में राशिद ख़ान के पास किसी भी बड़ी प्रतियोगिता की ट्रॉफ़ी का न होना एक एक असमान्य घटना की तरह थी। राशिद इस ख़लिश को ख़त्म करने के लिए कई सालों से प्रयासरत भी थे। हालांकि रविवार को आईपीएल 2022 की ट्रॉफ़ी जीत कर उन्होंने इस कमी को पूरा कर लिया।
राशिद कई सालों से टी20 क्रिकेट में हैं और विश्व के ज़्यादातर टी20 लीग में उनका प्रदर्शन हमेशा ही बढ़िया रहा है। ऐसा नहीं है कि बड़ी टीमें उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहतीं थी या फिर वह किसी मज़बूत टीम का हिस्सा नहीं थे। कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि बड़े मुक़ाबलों में या फ़ाइनल मैचों में उन्होंने अपने घुटने टेक दिए हों। बस वह इस उपलब्धि को हासिल करने में चूक जा रहे थे।
आईपीएल 2022 का फ़ाइनल जीतने के बाद स्टारस्पोर्ट्स से राशिद ने कहा, "आपको हर एक परिस्थिति से जूझने के लिए तैयार रहना पड़ता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो बड़ी प्रतियोगिताओं को जीतने में सफल होते हैं। इस तरह के बड़े स्टेज पर जीत दर्ज करने के लिए बहुत मेहनत, बहुत अभ्यास और सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता पड़़ती है। इसके अलावा मुझे लगता है कि एक टीम के रूप में हमने वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया। यह मेरे क्रिकेट करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।"
शार्ष गेंदबाज नहीं किफायती गेंदबाज रहते हैं राशिद
राशिद के किसी बड़ी प्रतियोगिता को नहीं जीतने का जो सफर था, उसे एक और तरीक़े से समझा जा सकता है। राशिद सभी टी20 टूर्नामेंट में दुनिया भर में खेलते आ रहे हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के रूप में उन्होंने कभी भी किसी प्रतियोगिता को समाप्त नहीं किया है।
दो बार वह संयुक्त रूप से सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे हैं, लेकिन आमतौर पर आप उन्हें शीर्ष विकेट लेने वालों में नहीं देखते हैं। इसी कारण से सनराइज़र्स हैदराबाद के मुख्य कोच ब्रायन लारा ने इस बार उन्हें अपनी टीम में रिटेन नहीं किया था।।
यही कारण था कि कई टीम राशिद को अपने साथ नहीं रखना चाह रही थी। वह ऐसे गेंदबाज़ नहीं हैं जो टी20 क्रिकेट में बल्लेबाज़ों का विकेट निकालने के लिए उन्हें ललचाते हैं। वह लगातार दबाव बना कर टीम के अन्य गेंदबाज़ों के लिए विकेट लेने का मौक़ा बनाते हैं। अगर देखा जाए तो इस साल भी राशिद सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों की सूची में आठवें नंबर पर हैं लेकिन उन्होंने सिर्फ़ 6.6 की इकॉनमी से रन ख़र्च किया। पूरी आईपीएल में सुनिल नारायण और मोहसिन ख़ान का राशिद से बेहतर इकॉनमी रेट था।
अगर राशिद की गेंदबाज़ी को प्लेऑफ़ में देखेंगे तो पता चल जाएगा कि उनका क्या प्रभाव था। क्वालीफ़ायर 1 में राशिद 16वें ओवर में गेंदबाज़ी करने आए। तब तक राजस्थान के सिर्फ़ तीन विकेट गिरे थे। इसके बावजूद जब 16वें ओवर में राशिद गेंदबाज़ी करने आए तो जॉस बटलर ने उनके ओवर में कोई रिस्क नहीं लिया।
प्लेऑफ में सिर्फ 8 ओवर में 1 चौका खाया
राशिद ने प्लेऑफ़ में कुल आठ ओवर किए और उसमें उन्होंने सिर्फ़ एक चौका दिया और वह भी मिसफील्ड के कारण आया था। राशिद ने राजस्थान के बल्लेबाज़ों को रक्षात्मक क्रिकेट खेलने के अलावा और कोई विकल्प दिया ही नहीं। सनराइज़र्स के ख़िलाफ़ खेले गए मैच में राशिद ख़ान ने चार ओवर में 45 रन ख़र्च किए थे और उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला था। उस मैच में राशिद ने इसका हरज़ाना अपनी बल्लेबाज़ी से भरते हुए 11 गेंदों में 33 रनों की पारी खेली थी।
बल्लेबाजों के लिए 2 में से 1 हथियार हो जाता है कम
राशिद और नारायण जैसे गेंदबाज़ों के पास बल्लेबाज़ों को चुप रखने के लिए कई हथियार हैं। राशिद ख़ान की गेंदों को समझना काफ़ी मुश्किल है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि राशिद लेग ब्रेक की ही शैली में गुगली भी करते हैं। अगर आप किसी स्पिन गेंदबाज़ों को उनके हाथों से नहीं पढ़ पा रहे हैं तो आपके पास दो विकल्प हैं : आप ओवर पिच और फुलर लेंथ की गेंद को इंतज़ार करें या फिर आप आगे निकल कर आएं।
अब एक परेशानी और है। राशिद जिस लेंथ के साथ गेंदबाज़ी करते हैं, उस पर आगे निकल कर शॉट खेलना आसान नहीं है। उनकी पेस के कारण यह काम और भी अधिक मुश्किल हो जाता है। राशिद ने प्लेऑफ़ में दो मैचों के दौरान राजस्थान के ख़िलाफ़ जो गेंदबाज़ी की उससे उनकी टीम के लिए जीत हासिल करना काफ़ी सरल हो गया।
राशिद ने फ़ाइनल के दौरान स्टार स्पोर्ट्स से कहा, "मेरे दिमाग में यही था कि मैं गेंद की लंबाई को थोड़ा पीछे लाऊं। यह मुंबई में और यहां के विकेटों के कारण भी है। लाल मिट्टी के कारण, मुझे खु़द को समायोजित करना पड़ा क्योंकि मैं जिस लेंथ पर गेंदबाज़ी कर रहा था, उससे मुझे लाभ नहीं मिल रहा था। विकेट पर ज़्यादा टर्न भी नहीं था। इसलिए मैंने लेंथ को थोड़ा पीछे खींच लिया, जिसका मुझे काफ़ी लाभ मिला।"(वार्ता)