अगर क्रिकेट में 'कैरी पैकर' ट्रेड सेंटर का धमाका था तो अधिकृत आईपीएल और अनधिकृत आईसीएल हिरोशिमा-नागासाकी का विध्वंस। पैकर लाइन भी खिलाड़ियों को त्वरित रूप से फायदा पहुँचा गई विभिन्न देशों के क्रिकेट बोर्डों को नहीं और यही काम आईपीएल (और आईसीएल भी) कर रही है। वहाँ (पैकर) भी प्रसारण मुद्दे पर व्यावसायिक हित जुड़े हुए थे और यहाँ भी प्रसारण, विज्ञापन आदि से मालामाल होने की बातें हैं।
बहरहाल आधुनिक 'पैकर' विभिन्न देशों की क्रिकेट संस्थाओं को 'जोर का झटका' देने में सक्षम हैं, पर धीरे-धीरे। तो आइए देखें स्वयं पैकर उनके पैकर सर्कस (क्रिकेट श्रृंखला) के बारे में कुछ।
* 1974 में ऑस्ट्रेलिया समाचार-पत्र एवं टेलीविजन की मशहूर हस्ती सर फ्रैंक पैकर का निधन हुआ और इन्हीं के छोटे पुत्र 'कैरी' बने 'फ्रैंक' के साम्राज्य के स्वामी। और इसी शख्स ने तीन वर्षों के भीतर-भीतर क्रिकेट की जड़ों को खोखला कर डाला, उस क्रिकेट को जो विश्व में अपनी शाखाओं का विस्तार कर रहा था।
खेलों के प्रति रुझान रखने वाले कैरी पैकर ने 'चैनल-9' की चेयरमैनशिप सम्हाली (चैनल 9 तब ऑस्ट्रेलिया के पाँच टीवी संस्थानों में से एक था) ध्यान क्रिकेट के संवर्धन की ओर गया। एक स्वतंत्र क्रिकेट श्रृंखला के आयोजन करने का विचार उनके मन में पनपा। पर प्रारंभ में वे यह चाहते थे कि क्रिकेट (टेस्ट क्रिकेट) के प्रसारण अधिकार उन्हें दे दिए जाएँ। सर्वाधिकार उनके हाथों में ही सुरक्षित रहेंगे। निश्चित ही धन वे देंगे ऑस्ट्रेलिया बोर्ड को।
* जन्म लिया विश्व श्रृंखला क्रिकेट ने : ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने पैकर का प्रस्ताव ठुकरा दिया। बोर्ड ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कमीशन से जुड़ा हुआ था और इसमें किसी तरह का हेरफेर करने के पक्ष में नहीं था। पैकर का नाराज होना स्वाभाविक ही था, और जन्म लिया विश्व श्रृंखला क्रिकेट ने।
योजना यह थी कि विश्व के अधिकाधिक नामवर क्रिकेटरों को अनुबंधित किया जाए तथा ऑस्ट्रेलियन बोर्ड के क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर विश्व श्रृंखला के मैचों का आयोजन किया जाए। अनुबंधित क्रिकेटर एवं श्रृंखला पैकर और उनके सहयोगी संस्थानों के इशारों पर ही कार्यरत रहेगी। सबसे बड़ी बात कि मैचों के प्रसारण का अधिकार सिर्फ और सिर्फ 'चैनल-9' के पास ही रहेगा।
* सब कुछ पैसों की खातिर : खिलाड़ियों में तो असंतोष था ही साथ ही साथ उन्हें कम मिलता था पैसा। इंग्लैंड में खिलाड़ियों का संघ बन चुका था। ऑस्ट्रेलिया में भी बदतर स्थिति थी, टेस्ट कम खेले जाते थे और खिलाड़ी इधर-उधर काम करते थे। डेनिस लिली जेपी स्पोर्ट एजेंसी से जुड़े थे।
शीघ्र ही एक बैठक जेपी स्पोर्ट और पैकर टीवी के मध्य हुई। विश्व श्रृंखला के लिए खिलाड़ियों को खरीदने का काम शुरू हुआ। संयोग से मेलबोर्न में शताब्दी टेस्ट का आयोजन भी था ही (12-17 मार्च 1977) खिलाड़ियों की भीड़ से नग छाँटना थे।
* संडे टाइम्स (द. अफ्रीका) की खबर : 24 अप्रैल 1977 को दक्षिण अफ्रीका के समाचार पत्र संडे मेल के हवाले से दी गई खबर में चार दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी 'पैकर श्रृंखला' से जुड़े। लोगों ने ध्यान इसलिए नहीं दिया क्योंकि तब दक्षिण अफ्रीका 'बहिष्कृत' था जमात से और उसके प्रमुख क्रिकेटर यहाँ-वहाँ की दया पर खेलते फिर ही रहे थे।
* 'द बुलटिन' ने किया खुलासा : 9 मई 77 को पैकर संस्थान की एक पत्रिका 'द बुलटिन' ने किया खुलासा किया कि 35 स्टार क्रिकेटरों ने एक तीन वर्ष का अनुबंध 'जेपी स्पोर्ट' और पैकर टीवी संस्थान के साथ कर लिया है। 1977-78 सत्र से श्रृंखला आरंभ होना थी, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में मच गई खलबली।
* परिणाम : राष्ट्रीय टीमों के लिए दुःखद- पैकर सर्कस तो चल निकला, किंतु राष्ट्रीय टीमों को तत्कालीन दौर में खोखला बना गया। एक मिसाल कि जब बिसन बेदी की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी, तब ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने नए छोकरों की टीम तैयार की थी, लड़ने के लिए और टीम का नेतृत्व बॉब सिंपसन (उम्र 41 वर्ष) को सौंपा गया था, जो 10 वर्ष पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके थे।
बात 1977-78 की है। और जब शक्तिशाली माने जाने वाली वेस्टइंडीज (तब) भारत के दौरे पर आई थी (1978-79) तो कप्तान थे एल्विन कालीचरण, क्योंकि लॉयड 'पैकर' से बँधे थे। टीम में खिलाड़ी भी नए थे।