ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट युवाओं के बूते की बात

सीमान्त सुवीर

गुरुवार, 29 मई 2008 (13:37 IST)
इसमें कोई दो राय नहीं कि इंडियन प्रीमियर लीग के कमिश्नर ललित मोदी ने ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट कराने का सुझाव देकर न केवल दुनिया भर के क्रिकेटरों को भारत में खेलने की तरफ आकर्षित किया, बल्कि स्टेडियम में मौजूद अपार क्रिकेट प्रेमियों के जनसमूह ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर इसकी कामयाबी पर मुहर भी लगा दी। हर कोई दुनिया के शीर्ष क्रिकेटरों की जंग को देखने के लिए बेताब था लेकिन देशी सितारा क्रिकेटरों ने अपनी नाकामियों से उन्हें निराश ही किया।

   सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के इं‍‍डियन क्रिकेट लीग में प्रदर्शन को देखते हुए लगा कि ये तीनों इस फटाफट क्रिकेट के लिए नहीं बने हैं। उम्र की परत ने इन्हें इस कदर बुढ़ा दिया कि वे अपनी वन-डे की मास्टर ब्लास्टर वाली छवि को ही भूल बैठे      
भारतीय क्रिकेट की सबसे अनुभवी त्रिमूर्ति सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ के इं‍‍डियन क्रिकेट लीग में प्रदर्शन को देखते हुए लगा कि ये तीनों इस फटाफट क्रिकेट के लिए नहीं बने हैं। उम्र की परत ने इन्हें इस कदर बुढ़ा दिया कि वे अपनी वन-डे की मास्टर ब्लास्टर वाली छवि को ही भूल बैठे।

मुंबई इंडियन्स के 'आइकॉन' सचिन तेंडुलकर ग्रोइन चोट की वजह से 14 में से केवल 7 मैच खेले और सिर्फ 188 रन ही बना सके और हैरत की बात तो यह है कि 7 मैचों में उन्होंने 2 छक्के ही उड़ाए हैं। बेंगलोर रॉयल चैलेंजर्स के आइकॉन राहुल द्रविड़ ने 14 मैचों में 371 रन बनाए। इन दोनों सूरमाओं की बनिस्बत कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान सौरव गांगुली को आप थोड़ा कामयाब मान सकते हैं।

गांगुली भले ही अपनी टीम को सेमीफाइनल की पायदान नहीं चढ़वा सके हों लेकिन उन्होंने कुल 13 मैचों में 33 चौके और 15 छक्कों की मदद से 349 रन बनाए। इसमें तीन अर्धशतक शामिल थे। यही नहीं, उन्होंने 6.40 के औसत से 6 विकेट भी प्राप्त किए।

इंडियन प्रीमियर लीग के इस पहले प्रसंग में रोहित शर्मा, शिखर धवन, यूसुफ पठान, सुरेश रैना, वेणुगोपाल राव, स्वप्निल असनोदकर, मनप्रीत गोनी और अभिषेक नायर जैसी युवा प्रतिभाओं ने अपनी चमक तो बिखेरी ही साथ ही साथ चयनकर्ताओं को यह सोचने पर मजबूर कर ही दिया है कि वे भविष्य के विकल्प साबित हो सकते हैं। ‍

  रोहित शर्मा, शिखर धवन, यूसुफ पठान, सुरेश रैना, वेणुगोपाल राव, स्वप्निल असनोदकर, मनप्रीत गोनी और अभिषेक नायर जैसी युवा प्रतिभाओं ने अपनी चमक तो बिखेरी ही साथ ही साथ चयनकर्ताओं को यह सोचने पर मजबूर कर ही दिया है कि वे भविष्य के विकल्प साबित हो सकते हैं      
आखिर वे कौन से कारण हो सकते हैं कि आईपीएल में क्रिकेट के आकाश पर चमकते सितारे जमीन पर आते ही चमक फीकी पड़ गई? सीधा-सा जवाब यह हो सकता है कि ट्‍वेंटी-20 जैसा फटाफट क्रिकेट इन चढ़ती हुई जवानी वाले उन युवाओं के बूते की बात है जिनकी बाजुओं में लोहा बसता है। यह क्रिकेट उन बूढ़े हो चुके खिलाड़ियों से कोसों दूर है, जिनके नाम के आगे 10 हजार या 15 हजार रन हैं। एक साक्षात्कार में बुजुर्ग खिलाड़ी राहुल द्रविड़ यह स्वीकार कर चुके हैं कि यदि आज वे उम्र के 21वें पड़ाव पर होते तो उनकी बल्लेबाजी का जलवा पूरी क्रिकेट बिरादरी देखती।

यहाँ पर 41 साल के शेन वॉर्न तमाम सितारा क्रिकेटरों के लिए अपवाद हैं जो इस उम्र में भी 20-22 साल के युवा जैसा जोश दिखा रहे हैं और अपनी नेतृत्व क्षमता के बूते पर ही राजस्थान रॉयल्स की टीम की अगुवाई करते हुए उसे सेमीफाइनल का टिकट दिलवा चुके हैं। यही नहीं जिस राजस्थान टीम को शुरुआत में टूर्नामेंट की सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था, उसी टीम ने लीग में 22 अंकों के साथ अव्वल स्थान अर्जित किया।

भारत के उम्रदराज क्रिकेटरों में दिल्ली डेयरडेविल्स के कप्तान वीरेन्द्र सहवाग मिसाल बनकर उभरे और उन्होंने 13 मैचों में 46 चौकों व 21 छक्कों की विस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए 403 रन बनाए। वे टॉप टेन बल्लेबाजी के क्रम पर सातवें नंबर पर आसीन हैं।

इंडियन प्रीमियर लीग अपने सफर के मुकाम से महज तीन मैच (2 सेमीफाइनल, 1 फाइनल) से दूर है लेकिन क्रिकेट के लघु स्वरूप में अनुभवी और उम्रदराज खिलाड़ियों की उपयोगिता पर गरमा-गरम बहस जरूर छिड़ गई है कि आखिर इसमें उनका भविष्य कितना उजला है?

जो लोग वास्तव में ‍क्रिकेट के जानकार हैं उनकी नजर में ट्‍वेंटी-20 क्रिकेट 'पायजामा क्रिकेट' है और असली क्रिकेट तो 'टेस्ट' मैच ही है। ऐसे में सचिन, सौरव और द्रविड़ से इत्तफाक रखने वाले लोग इस त्रिमूर्ति को जल्दी रिटायर नहीं करना चाहेंगे क्योंकि ये तिकड़ी तो असली क्रिकेट के लिए ही बनी है।

आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स के रोहित शर्मा का प्रदर्शन नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने 13 मैचों में 38 चौकों और 19 छक्कों की मदद से कुल 404 रन बटोरे हैं। दिल्ली डेयरडेविल्स के शिखर धवन का प्रदर्शन भी लाजवाब रहा है। उन्होंने 13 मैचों में 35 चौकों व 8 छक्कों की सहायता से 355 रन बनाए।

इरफान पठान के भाई यूसुफ पठान के लिए आईपीएल का सफर यादगार रहा। उन्होंने राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा बनते हुए 14 मैचों में 37 चौकों व 17 छक्कों की मदद से 334 रन बटोरे। चेन्नई सुपर किंग्स के लिए सुरेश रैना ने भी भारतीय क्रिकेटप्रेमियों को रोमांचित किया। उन्होंने 14 मैचौं में 30 और 12 छक्कों की मदद से कुल 323 रन बनाए।

डेक्कन चार्जर्स के वेणुगोपाल राव का बल्ला भी चमका और उन्होंने 11 मैचों में शिरकत करते हुए 22 चौके व 15 छक्कों की मदद से 288 रन बनाए। स्वप्निल असनोदकर को 7 मैचों में खेलने का मौका मिला और वे राजस्थान रॉयल्स के कप्तान व कोच शेन वॉर्न की कसौटी पर खरा उतरे। असनोदकर ने 33 चौकों व 5 छक्कों की मदद से 244 रन बटोरे।

PTI
इस पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा दाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर शान मार्श ने बटोरी। प्रिती जिंटा ‍की मिल्कियत वाली किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने जब मार्श को खरीदा था, उसे भी अंदाजा नहीं था कि उनका खरीदा गया क्रिकेटर सेमीफाइनल मैचों से पहले आईपीएल का टॉप स्कोर बनेगा। युवराज ने 10 मैचों में मार्श को उतारा और उन्होंने अपने नाम के आगे सर्वाधिक 593 रन चस्पा कर लिए।

मार्श के बल्ले से मानों रनों का झरना ही फूट पड़ा था। उन्होंने 10 मैचों में 56 बार गेंद को सीमा रेखा का चुंबन कराया, जबकि उनके बल्ले ने 25 गगनभेदी छक्के उड़ाए गए। टॉप स्कोर के मामले में दिल्ली डेयरडेविल्स के गौतम गंभीर दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 13 मैचों में 67 चौकों व 8 छक्कों की मदद से 523 रन बनाए।

मुंबई इंडियन्स का सेमीफाइनल में पहुँचने का सपना जरूर टूटा होगा लेकिन उसके सितारा बल्लेबाज सनथ जयसूर्या ने 14 मैचों में 57 चौके व 31 छक्कों के साथ 514 रन बनाए और वे शीर्ष बल्लेबाजों की सूची में तीसरी पायदान पर रहे। कुल मिलाकर यह ट्‍वेंटी-20 का घमासान युवाओं के बूते की बात है, जहाँ हर दम खिलाड़ी को चौकन्ना रहना पड़ता है।