महान बल्लेबाज विराट कोहली ने कहा कि उनका मूल सिद्धांत अहंकार पर काबू रखते हुए मैच की परिस्थितियों के हिसाब से बल्लेबाजी करना है। मौजूदा दौर के सबसे सफल बल्लेबाजों में से एक कोहली (Virat Kohli) ने हाल ही में एक और उपलब्धि हासिल की। वह टी20 प्रारूप में 13000 रन बनाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए।
कोहली ने जियो हॉटस्टार से कहा, यह (बल्लेबाजी) कभी अहंकार के बारे में नहीं है। यह कभी किसी को मात देने की कोशिश नहीं है। मेरे लिए यह हमेशा खेल की स्थिति को समझने के बारे में रहा है। यह कुछ ऐसा है जिस पर मुझे हमेशा गर्व है। मैं परिस्थितियों के अनुसार खेलना चाहता हूं।
उन्होंने कहा, अगर मैं लय में होता हूं तो मैं स्वाभाविक रूप से जिम्मेदारी उठाने की पहल करता। अगर कोई और बेहतर तरीके से खेल रहा होता है तो वह ऐसा करता है।
कोहली IPL में सबसे ज्यादा शतक और रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने 256 मैचों में आठ शतकों के साथ 8168 रन बनाए हैं। इस 36 साल के खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने 2011 सत्र के बाद से इस प्रारूप की जरूरतों को समझ लिया।
उन्होंने कहा, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के साथ अपने पहले तीन वर्षों में मुझे शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी करने के मौके नहीं मिले। मुझे आमतौर पर निचले क्रम में भेजा जाता था। ऐसे में मैं उस दौरान आईपीएल में बड़े पैमाने पर सफल नहीं हो पाया।
कोहली ने कहा, मैंने साल 2010 से अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया और 2011 से नियमित तौर पर तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करने लगा। तब से मैंने निरंतरता के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है।
कोहली ने स्वीकार किया कि लीग में 18 साल बिताने से उन्हें क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में अपने कौशल को निखारने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, आईपीएल आपको बहुत ही अनोखे तरीके से चुनौती देता है क्योंकि इस लीग की संरचना काफी अगल है। यह एक छोटी द्विपक्षीय श्रृंखला की तरह नहीं है, यह कई हफ्तों तक चलता है और अंक तालिका में आपकी स्थिति बदलती रहती है। लगातार बदलते परिदृश्य से अलग-अलग तरह के दबाव आते हैं।
उन्होंने कहा, टूर्नामेंट से आपको मानसिक और प्रतिस्पर्धी रूप से कई तरीकों से आगे बढ़ाने की चुनौती मिलती है जो अन्य प्रारूपों में नहीं होती। इसने मुझे अपने टी20 कौशल को लगातार सुधारने और विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया है। (भाषा)'