पाकिस्तान जब ट्वेंटी-20 क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में सोमवार को भारत के खिलाफ खेलने उतरेगा, तो पाकिस्तान में इस मैच को लेकर भावनाएँ उफान पर होंगी।
भारत और पाकिस्तान का मैच हमेशा से क्रिकेटप्रेमियों के लिए रोमांचक होता है और बात जब विश्व कप फाइनल की हो, तो इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। पाकिस्तान और भारत किसी विश्व कप के फाइनल में पहली बार भिड़ेंगे।
हालाँकि इससे पहले वर्ष 1986 में पाकिस्तान ने शारजाह में भारत को हराकर टूर्नामेंट जीता था। इस फाइनल मैच में जावेद मियाँदाद ने आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी।
इसके बाद तो पाकिस्तानी टीम के खिलाड़ी अपने देश के हीरो बन गए थे और उन्हें काफी इनाम मिला था। तब से अब तक 21 वर्ष गुजर गए, लेकिन दोनों देश कभी किसी त्रिकोणीय या अन्य टूर्नामेंट के फाइनल में नहीं भिड़े।
लेकिन जब पाकिस्तान 1996 और 2003 के विश्वकप में भारत के हाथों पिटा था, तो लोगों ने खिलाड़ियों के घर पर पथराव किया था और उनके पुतले जलाए थे।
1996 विश्वकप टीम के सदस्य रहे रशीद लतीफ ने याद दिलाया कि कैसे कुछ खिलाड़ियों को फोन पर धमकियाँ मिलती थी और उन्हें गाली-गलौज सुननी पड़ती थी।
उन्होंने कहा कि यह एक दहशत भरी मनोदशा थी। अब चीजें बदली-बदली सी नजर आ रही हैं, हाँ हालाँकि जीत की भावना तो हिलोरे मार रही है, लेकिन लोग अब यह मानने लगे है कि क्रिकेट केवल एक खेल है और आप हर दिन नहीं जीत सकते।
वर्ष 2004 से दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की प्रक्रिया ने लोगों की कड़वाहट कम की है। पूर्व पाकिस्तानी कप्तान वसीम अकरम ने कहा कि जब हम भारत के खिलाफ खेलते थे, तो हमारे ऊपर बहुत दबाव होता था। अब मुझे लगता है कि भारत के साथ संबंध बेहतर होने के साथ ही लोग ज्यादा परिपक्व हुए हैं।
मुझे नहीं लगता कि अगर हम हारते हैं, तो लोग हिंसक प्रदर्शन करेंगे। पूर्व कप्तान जावेद मियाँदाद ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैच हमेशा से काँटेदार मुकाबला होता है और यह तकनीक से ज्यादा कुछ होता है और यह तो विश्वकप का फाइनल है इसलिए यह बड़ा मौका है।