कोरोनाकाल में सोशल मीडिया पर धोखेबाज और ठगी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हो रही है। ठगी करने वाले बदमाश आपको बातों में उलझाकर कब आपका अकाउंट साफ कर देते हैं, पता ही नहीं चल पाता। फेसबुक के बाद अब व्हाट्सऐप पर कई मामले सामने आए हैं।
इसके बाद जब आप उस नंबर पर कॉल करते हैं तो वह आपसे बात कर-कर थोड़ी देर से बात करता हूं, कहते हैं, (आप झांसे में आ सकते हैं, यह पता चलने पर वह अपनी प्लानिंग तैयार लेते हैं)
स्क्रीन शेयर ऐप डाउनलोड करने का कहा जाता है। इसमें एक ओटीपी आता, जो ठगी करने वाला आपसे पूछता है। आपके द्वारा दिए गए नंबर से वो अब आपकी स्क्रीन देखने लगता है। अब फोन करने वाला व्यक्ति आपसे आपके ही मोबाइल को 10 रुपए से रिचार्ज करने के लिए कहता है। आप रिचार्ज करते समय यह भूल जाते हो कि वो भी आपकी स्क्रीन देख पा रहा है जिसका फायदा उठाकर वह आपके अकाउंट को खाली कर देता है। वे या तो आपके अकाउंट से शॉपिंग कर लेते हैं या फिर पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं।
पुलिस का असहयोगात्मक रवैया : व्यक्ति के साथ पैसों की ऑनलाइन ठगी होने की शिकायत लेकर वह बैंक या पुलिस स्टेशन जाता है, लेकिन उससे ऐसे सवाल किए जाते हैं कि वह खुद शिकायत न करने का मन बना लेता है। जैसे- आप इतने पढ़े-लिखे होने के बाद कैसे जाल में फंस गए? रहने दीजिए कानून के पचड़े में क्यों फंसते हैं। इतनी-सी तो रकम है। बैंकों में शिकायत करने पर भी कहा जाता है कि सारी जानकारी देने से पहले आपने संबंधित व्यक्ति की पहचान क्यों नहीं पूछी।