रिमोट से चलने वाले खिलौने भी आज-कल बाजार पर राज कर रहे हैं। रोबो व रिमोटीक खिलौनों से इंफ्रारेड रेज निकलते हैं, जो टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल आदि से भी निकलते हैं। इंफ्रारेड रेज के दुष्परिणामों पर तो सैकड़ों अध्ययन किए जा चुके हैं। इनसे दिल, दिमाग, आँख, कान आदि सभी अंगों को खतरा होता है।
आधुनिक युग में तेजी से हो रहे बदलाव ने हर जगह अपना प्रभाव दिखाया। कॉपी-किताब की जगह कंप्यूटर ने ली, वहीं खिलौनों में भी चमत्कारी परिवर्तन हुए। शुरूआती दौर के मिट्टी से बने खिलौनों की जगह आज गैजेट्स ने ले ली है।
खिलौनों की आकृतियाँ तो वहीं रही लेकिन उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चीजें बदलती रही। मिट्टी से शुरू हुआ यह सिलसिला प्लास्टिक,फाइबर, लकड़ी और रबर से होते हुए आज पता नहीं कौन से मेटल तक पहुँच चुका है। इन सभी बदलाव का प्रभाव किसी और नहीं बल्कि जिनके लिए यह बनाए जा रहे हैं उन्हीं पर पड़ रहा है।
जिन लाडलों के लिए यह बनाए जा रहे हैं वो इन खिलौनों के कारण शारीरिक ही नहीं बल्कि मनासिक बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे हैं।