उन्होंने कहा कि इतनी कीमत में या तो आप 1.6 जीबी इंटरनेट क्षमता का उपभोग करें नहीं तो और अधिक लागत उठाने को तैयार रहें। हम नहीं चाहते कि आपको अमेरिका या यूरोप की तरह 50 से 60 डॉलर रुपये खर्चने पड़ें, लेकिन एक महीने में 2 डॉलर में 16 जीबी इंटरनेट कहीं से भी उद्योग के लिए व्यवहारिक नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमें 300 रुपए एआरपीयू की जरूरत है। इस व्यवस्था में भी आपके पास हर महीने 100 रुपए में एक उचित मात्रा में इंटरनेट होगा, लेकिन यदि आपका ज्यादातर वक्त टीवी, फिल्म, इंटरटेनमेंट और अन्य वस्तुओं के उपभोग पर खर्च होता है तो आपको अधिक भुगतान करना होगा।
उन्होंने कहा कि जो उद्योग दूरसंचार क्षेत्र में नहीं है उन्हें भी डिजिटल होने की जरूरत है। ऐसे में अगले 5 से 6 महीने में एआरपीयू बढ़ना चाहिए ताकि दूरंसंचार उद्योग व्यवहारिक बना रहे। अब इस क्षेत्र में दो-तीन कंपनियां ही बची हैं। भारत कीमतों को लेकर संवेदनशील बाजार है। अगले 6 महीने में हम 200 रुपए एआरपीयू के स्तर को निश्चित तौर पर पार कर लेंगे और शायद आदर्श स्थिति 250 रुपए एआरपीयू रहेगी। (भाषा)