रंग-बिरंगी मणि-मुक्ताओं से जड़े हुए सिंहासन पर आसीन आपकी सुवर्णमयी कमनीय काया ऐसी मनभावन लग रही है, मानो उदयाचल गिरि के उन्नत शिखर पर सूरज अपनी किरणों का शामियाना बिछा रहा हो!
ऋद्धि- ॐ ह्रीं अर्हं णमो घोरतवाणं।
मंत्र- ॐ णमो णमिऊण पास विसहरफुलिंग-मंतो विसहर नामक्खर-मंतो सर्व सिद्धिमहि इह समरंताणमण्णं जागई कप्पदुमच्चं सर्व सिद्धिः ॐ नमः स्वाहा।