पर्युषण : जिनशासन का महापर्व

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श्वेतांबर जैन समाज (मूर्तिपूजक) में पर्युषण महापर्व की शुरूआत विशेष पूजन-अर्चन तथा साज-सज्जा आरती और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ हुई। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताँता लगना शुरू हो गया था। कार्यक्रमों का सिलसिला देर शाम तक चला।

इस अवसर पर आठों दिन सुबह-शाम सामूहिक प्रतिक्रमण, भक्तामर पाठ व स्नात्र पूजा, दोपहर में स्वाध्याय तथा बच्चों के लिए भजन व दीप सज्जा प्रतियोगिता भी होगी। दादावाड़ी में प्रतिष्ठित गुरु भगवंतों की सुंदर अंगरचना के साथ ही पूरे परिसर की आकर्षक विद्युत सजावट भी की गई।

पयुर्षण पर्व के अंतर्गत हुए प्रवचन में मुनिराज ने कहा कि यह पर्व इंसान को भगवान और आत्मा को परमात्मा बनाता है। साधु भगवंतों की प्रेरणा से कल अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने चौसठ प्रहरी पौषध व सामूहिक अट्ठाई तपस्या प्रारंभ की।
  श्वेतांबर जैन समाज (मूर्तिपूजक) में पर्युषण महापर्व की शुरूआत विशेष पूजन-अर्चन तथा साज-सज्जा आरती और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ हुई। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताँता लगना शुरू हो गया था। कार्यक्रमों का सिलसिला देर शाम तक चला।      
उन्होंने यह भी कहा कि इस महापर्व के तहत प्रतिदिन देवदर्शन, सामायिक, प्रतिक्रमण व जीवमात्र के प्रति दया का भाव रखें। बारह व्रतों को धारण करने से जीवन में निर्मलता आती है और कषायों से बचा जा सकता है।

मुनिराज ने कहा कि पर्युषण जिनशासन का महापर्व है। जिसके पास दूसरों की गलती को माफ करने की शक्ति है, वहीं सच्चे अर्थों में धर्मात्मा बन सकता है। पर्युषण का सारांश सभी जीवों को जीवनदान देना है। हम अपनी शक्ति निर्बल को कुचलने में मानते हैं। प्रकृति की विराधना करते हैं। इससे ही समस्त चक्र प्रभावित हो रहा है। मनुष्य ने वनस्पति के साथ जितना क्रूरतापूवर्ण व्यवहार किया है, उससे जीवन अशांत व अनीतिपूर्ण हो गया है। गुरुवार से स्थानकवासी भी पर्व मनाना शुरू कर देंगे।

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