जैन धर्म

गोपाचल दुर्ग तथा उसके चतुर्दिक गुहा मंदिरों में उत्कीर्ण अनगिनत तीर्थंकर प्रतिमाओं तथा ग्वालियर अंच...
भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः! तेष...
सुर सांभळीने संचरीया, मागध वरदामें चलीया। पद्मद्रह गंगा आवे, निर्मल जल कलश भरावे ॥1॥
जो मन, वचन और काया के दण्डों से रहित है, हर तरह के द्वंद्व से, संघर्ष से मुक्त है, जिसे किसी चीज की
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः! तेष...
हम जैन हैं। हमारा लक्ष्य परमात्मा जिनेश्वर भगवान के सच्चे एवं श्रद्धावान अनुयायी बनने का होना चाहिए ...
आइए, अब परमात्मा के समक्ष चैत्यवंदन करके परमात्मा की स्तवना-भक्ति करें। सबसे पहले खड़े होकर हाथ जोड़कर...
सबसे पहले तीन बार 'खमासमण सूत्र' बोलकर विधिपूर्वक तीन खमासमण दें। फिर खड़े होकर या बैठे-बैठे हाथ जोड़क...
(फिर दोनों हाथों को जोड़कर मस्तक को लगाकर जयवीयराय सूत्र कहना) जयवीयराय जगगुरु होउ ममं तुह पभावओ भयव...