1.दोनों ही प्रथम कहे गए हैं अर्थात आदिदेव।
2.दोनों ही जटाधारी और दिगंबर है। भार्तुहरी ने 'वैराग्य शतक' में शिव को दिगंबर लिखा है। वेदों में भी वे दिगंबर कहे गए हैं।
4.दोनों को ही नाथों का नाथ आदिनाथ कहा जाता है।
5.दोनों ही कैलाशवासी है। ऋषभदेव ने कैलाश पर ही तपस्या कर कैवल्य प्राप्त किया था।
8.शिव, पार्वती के संग है तो ऋषभ भी पार्वत्य वृत्ती के हैं।
9.दोनों मयुर पिच्छिकाधारी है।
10.दोनों की मान्यताओं में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी और चतुर्दशी का महत्व है।
11.शिव चंद्रांकित है तो ऋषभ भी चंद्र जैसे मुखमंडल से सुशोभित है।