यह व्रत तीन, बारह व चौबीस वर्ष करना चाहिए। श्रावक के षट् कर्म का (देव पूजा, गुरु सेवा, स्वाध्याय, संयम, तप, दान) पालन करना चाहिए। सेठानी श्री गुरु को नमस्कार करके और व्रत लेकर घर आई। घर आकर सेठानी ने अपने कुटुम्ब परिवार से व्रत लेने के विषय में कहा। कुटुम्ब परिवार ने कहा कि फूलों में रखकर कोमल चावल, घी, शकर, मेवा आदि उत्तम पदार्थों के मिश्रण से जो भोजन किया जाता है, वो हजम नहीं होता है तो ऐसा कठोर व्रत कैसे किया जाएगा।