श्वेतांबर जैन समाज के 8 दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण शुक्रवार से शुरू हो गए हैं। ये पर्युषण 18 से 25 अगस्त 2017 तक चलेंगे। इस दौरान जैन धर्मावलंबी तप और आराधना में लीन होंगे। श्वेतांबर जैन समाज (मूर्तिपूजक) में इस पर्युषण महापर्व की शुरुआत विशेष पूजन-अर्चन तथा साज-सज्जा, आरती, मंदिरों में सजावट, अंगरचना के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ होगी। पर्युषण पर्व के अंतर्गत मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। कार्यक्रमों का सिलसिला देर शाम तक चला।
इस अवसर पर आगामी 8 दिनों तक सुबह-शाम सामूहिक प्रतिक्रमण, भक्तामर पाठ व स्नात्र पूजा, दोपहर में स्वाध्याय तथा बच्चों के लिए भजन व दीप सज्जा प्रतियोगिता भी होगी। साधु भगवंतों की प्रेरणा से कल अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने 64 प्रहरी पौषध व सामूहिक अट्ठाई तपस्या प्रारंभ की। इस महापर्व के तहत प्रतिदिन देवदर्शन, सामायिक, प्रतिक्रमण व जीवमात्र के प्रति दया का भाव रखने की बात कही गई है। 12 व्रतों को धारण करने से जीवन में निर्मलता आती है और कषायों से बचा जा सकता है। कई जैन मंदिरों, दादावाड़ी में चातुर्मास के लिए विराजित साधु-साध्वी इन दिनों में कल्पसूत्र का वाचन करेंगे। 22 अगस्त को प्रभु का जन्मवाचन पर्व मनाया जाएगा।
पर्युषण जिन शासन का महापर्व है। जिसके पास दूसरों की गलती को माफ करने की शक्ति है, वही सच्चे अर्थों में धर्मात्मा बन सकता है। पर्युषण का सारांश सभी जीवों को जीवनदान देना है। हम अपनी शक्ति निर्बल को कुचलने में मानते हैं। प्रकृति की विराधना करते हैं, इससे ही समस्त चक्र प्रभावित हो रहा है। मनुष्य ने वनस्पति के साथ जितना क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है, उससे जीवन अशांत व अनीतिपूर्ण हो गया है। अत: तप-आराधना व लोगों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़ने के लिए विभिन्न मंदिरों में साधु-साध्वी मंडल विराजित हैं। यह पर्व इंसान को भगवान और आत्मा को परमात्मा बनाता है।