JK Assembly Elections: हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों को जम्मू कश्मीर में एक कामयाबी मानने वाले भारतीय चुनाव आयोग के उस बयान के बाद अधिकतर राजनीतिक दलों द्वारा हैरानगी प्रकट की जा रही है जिसमें उसने सुरक्षा और आतंक के खतरे को उजागर करते हुए कहा है कि किसी को भी चुनावों में खलल डालने की इजाजत नहीं दी जाएगी और इन दोनों मुद्दों पर चर्चा के उपरांत तारीखों की घोषणा होगी।
प्रदेश के अपने 2 दिनों के दौरे के दौरान चुनाव आयोग की टीम ने प्रशासनिक और सुरक्षाधिकारियों से मुलाकातें कर हालात का जायजा तो लिया लेकिन साथ ही सुरक्षा के मोर्चे पर कश्मीर के हालात को फिलहाल कथित तौर पर सही नहीं पाया है। हालांकि अपने संवाददाता सम्मेलन में चुनाव आयोग की टीम ने इतना जरूर कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव करवाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा को वे ध्यान में रखेंगे।
जानकारी के लिए प्रदेश में आखिरी विधानसभा चुनाव वर्ष 2015 में हुए थे। यही कारण है कि चुनाव आयोग द्वारा फिलहाल सुरक्षा के मोर्चे पर गंभीर अध्ययन करके बाद ही चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के आश्वासन पर प्रदेश के राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है जिन्हें चिंता इस बात की है कि सुरक्षा और आतंक के नाम पर चुनावों को टालने का प्रयास हो सकता है।
यह सच है कि पिछले 3 सालों से जम्मू संभाग में आतंकी घटनाओं में आई बिजली सी तेजी के कारण 55 सैनिकों को जम्मू संभाग में शहादत देनी पड़ी है। लेकिन बावजूद इसके, प्रदेश में शांति लौटने के दावे रुके नहीं हैं। इतना जरूर था कि हाल ही में घटनारहित संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के कारण चुनाव आयोग गदगद था, पर वह विधानसभा चुनावों को संपन्न करवाने के लिए तारीखों की घोषणा को सुरक्षा व आतंकवाद से जोड़कर राजनीतिक दलों के मन में आशंका जरूर पैदा कर रहा था।