Ganderbal Terrorist Attack : सोमवार को सैकड़ों लोग बडगाम के मारे गए डॉक्टर शाहनवाज डार के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। वे रविवार रात मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के गगनगीर इलाके में हुए बड़े आतंकी हमले में मारे गए 7 लोगों में शामिल थे।
डॉक्टर को नायदगाम में उनके पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शोक मनाने वालों ने कश्मीर में खून-खराबे को रोकने के नारे भी लगाए। गांव से शवयात्रा के गुजरने के दौरान वे चिल्ला रहे थे, निर्दोष लोगों का खून-खराबा बंद करो। अंतिम संस्कार में पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए।
गांव में मातम छाया रहा। कई महिलाएं अपनी छाती पीटती नजर आईं, जबकि अन्य मौन में विलाप करती रहीं। शोक मनाने वालों के एक समूह ने का कहना था कि यहां हर आंख नम थी, क्योंकि दोनों भाई-बहन युवा थे और पूरे गांव में उनके खुशमिजाज स्वभाव के कारण उन्हें प्यार किया जाता था।
मध्य कश्मीर के गंदरबल जिले के गगनगीर इलाके में आतंकी हमले में मारे गए डॉक्टर के परिवार के सदस्यों ने इस 'कायरतापूर्ण' कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि वे अपना पेशेवर कर्तव्य निभा रहे थे। बडगाम के डॉक्टर शाहनवाज डार के चचेरे भाई एडवोकेट तारिक ने पत्रकारों को बताया कि वे अपने पीछे एक बेटी और दो बेटे छोड़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि वे एक दयालु और धर्मपरायण व्यक्ति थे, जो कभी प्रार्थना करना नहीं छोड़ते थे। वे कहते थे कि वे परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित नेताओं के आभारी हैं। रविवार रात को हुए आतंकी हमले में 6 निर्माण श्रमिकों की भी जान चली गई, जो एक सुरंग का निर्माण कर रहे थे।
आतंकवादियों ने उनके शिविर पर गोलीबारी की। शिविर स्थल पर स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों ही लोग मौजूद थे। कम से कम दो आतंकवादियों ने हमला किया। हमले के पीड़ितों की पहचान बडगाम के नायदगाम निवासी डॉ. शाहनवाज, पंजाब के गुरदासपुर के गुरमीत सिंह, मोहम्मद हनीफ, सेफ्टी मैनेजर फहीम नासिर, बिहार के कलीम, मध्यप्रदेश के मैकेनिकल मैनेजर अनिल कुमार शुक्ला और जम्मू के डिजाइनर शशि अबरोल के रूप में हुई है।
दु:ख में डूबा अबरोल का परिवार : गगनगीर आतंकी हमले में अपने प्यारे बेटे शशि भूषण अबरोल की दुखद मौत के बाद अबरोल परिवार भारी नुकसान और दुख की भावना से जूझ रहा है। शशि के बड़े भाई मनीष अबरोल ने इस घटना के विनाशकारी प्रभाव के बारे में खुलकर बात की है, उन्होंने अपनी आखिरी बातचीत और परिवार के संघर्ष के बारे में दिल दहला देने वाली जानकारी साझा की है।
मनीष ने कहा कि हम अभी भी सदमे में हैं। उनकी आवाज भावनाओं से कांप रही थी। वे कहते थे कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरा भाई अब नहीं रहा। वह हमारे परिवार की जान था। पत्रकारों से बात करते हुए मनीष ने बताया कि उन्होंने हमले से कुछ दिन पहले शशि से आखिरी बार बात की थी। वह सामान्य और खुश लग रहा था। उसकी आवाज में किसी तरह का डर या चिंता नहीं थी।
परिवार की परेशानी तब शुरू हुई जब हमले के दिन शाम 6 बजे के बाद शशि ने उनके काल का जवाब नहीं दिया। जैसे-जैसे घंटे बीतते गए, वे दिन में बदलते गए और वे उसके ठिकाने की खबर का इंतजार करते रहे। उनके सबसे बुरे डर की पुष्टि तब हुई जब उन्हें उसके निधन की दुखद खबर मिली।
मनीष ने कबूल किया कि यह एक बुरे सपने जैसा है। मैं कल्पना नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी और उसके दो छोटे बच्चे इस नुकसान से कैसे निपटेंगे। वह परिवार का कमाने वाला था और अब उन्हें खुद की देखभाल करनी पड़ रही है।
हिंसा में किसी प्रियजन को खोने का दर्द असहनीय होता है और अबरोल परिवार इस पीड़ा में अकेला नहीं है। इसी तरह की क्रूर आतंकी त्रासदी ने कई अन्य परिवारों को तबाह कर दिया है। इस क्रूर आतंकी हमले में 6 अन्य निर्दोष लोगों की भी जान चली गई। इस घटना ने घाटी में सदमे की लहरें फैला दी हैं, जिससे लोग गहरे दुख और भय में हैं।