रात्रि ठीक 12 बजे त्रि-करतल ध्वनि (तीन बार ताली बजाकर) व शंख बजाकर भगवान का प्राकट्य करें एवं पुन: भगवान के विग्रह का पंचामृत आदि से षोडषोपचार पूजन करने उपरान्त केसर मिश्रित गौदुग्ध से 'पुरुष-सूक्त' के साथ अभिषेक करें तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण को नवीन वस्त्र, मोरपंखी मुकुट, बांसुरी, अलंकार धारण कराकर पालने में पधराएं (बिठाएं) और माखन मिश्री का भोग अर्पित करें फ़िर भगवान कृष्ण की आरती करें। अभिषेक के प्रसाद (दुग्ध) को कुटुम्ब व परिवार सहित यह मंत्र बोलकर ग्रहण करें-