जिसके बाद चैत्र पूर्णिमा को माता अंजना के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया था। वनराज केसरी और अंजना ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वह अंजना के कोख से जन्म लेंगे। हनुमान जी को वायुपुत्र भी कहा जाता है। क्योंकि जिस समय हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था। उस समय इंद्र ने उन पर व्रज से प्रहार किया था। जिसके बाद पवनदेव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने हनुमान जी को आर्शीवाद दिया था।
संकटमोचन हनुमान जी का जन्म स्थान/4 दावे
1. हरियाणा के कैथल में जन्मे थे हनुमान जी
ऐसी मान्यता है कि हुनमान जी के पिता वानरराज केसरी कपि क्षेत्र के राजा थे। हरियाणा का कैथल पहले कपिस्थल हुआ करता था। कुछ लोग इसे ही हनुमान जी की जन्म स्थली मानते हैं।
2. मतंग ऋषि के आश्रम में जन्मे हुनमान
एक यह भी मान्यता है कि कर्नाटक के हंपी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास मतंग पर्वत है। वहां मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। हंपी का प्राचीन नाम पंपा था। कहा जाता है कि पंपा में ही प्रभु श्रीराम की की पहली मुलाकात हनुमान जी से हुई थी।
3. गुजरात के अंजनी गुफा में जन्मे संकटमोचन हनुमान
गुजरात के डांग जिले के आदिवासियों का मानना है कि यहां अंजना पर्वत के अंजनी गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था।
4. झारखंड के आंजन गांव की गुफा में जन्मे बजरंगबली
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन गांव में हनुमान जी का जन्म हुआ था। वहां एक गुफा है, उसे ही हनुमान जी जन्म स्थली बताई जाती है।