हनुमान जंयती 2020 : जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और 5 मंत्र
hanuman jayanti 2020
हनुमान जंयती के दिन बजरंग बली की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, पुराणों के अनुसार इन्हें भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। हनुमान जी के पिता का नाम वनरराज केसरी और माता का नाम अंजना था.... आइए जानते हैं हनुमान जंयती 2020 शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि...
पूर्णिमा तिथि समाप्त - अगले दिन सुबह 8 बजकर 4 मिनट तक (8 अप्रैल 2020)
हनुमान जी की पूजा विधि
1. हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। इसलिए आपको हनुमान जंयती के एक दिन पहले से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
2. इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़कें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं..
3.कपड़ा बिछाने के बाद भगवान श्री राम और माता का स्मरण करें और एक चौकी पर भगवान राम, सीता और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।
4.इसके बाद हनुमान जी के आगे चमेली के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें लाल पुष्प, चोला और सिंदूर अर्पित करें।
5. ये सभी चीजें अर्पित करने के बाद , हनुमान चालीसा , हनुमान जी के मंत्र और श्री राम स्तुति का पाठ अवश्य करें।
6. इसके बाद हनुमान जी की विधिवत पूजा करें और यदि संभव हो तो इस दिन रामयाण का पाठ भी अवश्य करें।
7. हनुमान जी की विधिवत पूजा करने के बाद उनकी धूप व दीप से आरती अवश्य उतारें।
8. इसके बाद हनुमान जी की आरती उतारें और उन्हे गुड़ चने और बूंदी के प्रसाद का भोग लगाएं ।
9. भोग लगाने के बाद हनुमान जी से क्षमा याचना अवश्य करें। क्योंकि अक्सर पूजा में जानें अनजाने कोई न कोई भूल हो जाती है।
10.अगर हो सके तो इस दिन बंदरो को गुड़ और चना अवश्य खिलाएं। इस दिन बंदरों को गुड़ और चना खिलाना काफी शुभ माना जाता है।
हनुमान जी जन्म कथा
राम भक्त हनुमान जी को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता और भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय जिस समय असुरों और देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। तब अमृत के लिए देवता और असुर आपस में ही झगड़ा होने लगा। इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण किया। जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखा तो भगवान शंकर वासना में लिप्त हो गए। उस समय भगवान शिव ने अपने वीर्य का त्याग कर दिया। उस वीर्य को पवनदेव ने अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया।
जिसके बाद अंजना के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया था। वनराज केसरी और अंजना ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वह अंजना के कोख से जन्म लेंगे। हनुमान जी को वायुपुत्र भी कहा जाता है। क्योंकि जिस समय हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था। उस समय इंद्र ने उन पर व्रज से प्रहार किया था। जिसके बाद पवनदेव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने हनुमान जी को आर्शीवाद दिया था।