Hanuman ji: क्या हनुमान जी प्रकट होने वाले हैं?

WD Feature Desk

बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 (13:16 IST)
Jai Hanuman: हनुमानजी के हर युग में और हर काल में विद्यमान होने के प्रमाण मिले हैं। हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि हनुमानजी इस कलयुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे जबकि कुछ का मानना है कि वे एक कल्प तक धरती पर ही रहेंगे। धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य 4 लोगों के हाथों में है- दुर्गा, भैरव, हनुमान और कृष्ण।
 
 
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥: त्रेतायुग में हनुमानजी श्रीराम के साथ थे और द्वापर में श्रीकृष्ण के रथ पर विराजमान थे। कलयुग में उन्होंने कई राजाओं और संतों को दर्शन दिए हैं, लेकिन कलयुग में वे सार्वजनिक रूप से कभी प्रकट नहीं हुए हैं।ALSO READ: Mahabharat: संकट काल में भीम ने हनुमानजी के द्वारा दिए गए 3 बालों का क्या किया?
 
कहां रहते हैं हनुमानजी?: हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद् भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।
 
''यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥'
अर्थात : कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। सीताजी के वचनों के अनुसार- 'अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ।।'
 
बढ़ रही है देश और दुनिया में हनुमानजी की भक्ति : वर्तमान युग में हनुमानजी के भक्तों की संख्‍या लगातर बढ़ती जा रही है। और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई की चौपाई को पढ़कर अप लोग सिर्फ हनुमानजी पर ही अपना ध्यान लगा रहे हैं क्यों‍कि वे सभी हनुमानजी चालीसा की शक्ति को समझ गए हैं। कहते भी हैं कि एक साधे सब सधे सब साधे सब जाय। हनुमानजी बहुत जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सहायता करने के लिए पहुंच जाते हैं। इस युग में आपको हजारों ऐसे हनुमान भक्त मिल जाएंगे जिनको हनुमानजी का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ है और इससे उनका जीवन पुरी तरह से बदल गया है।
 
क्या हनुमानजी के प्रकट होने का समय आ गया है?
पुराणों के अनुसार संभल नामक स्थान पर विष्णुयक्ष नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। जब कल्कि रूप में भगवान विष्णु अवतार लेंगे तब हनुमान, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि सार्वजनिक रूप से प्रकट हो जाएंगे। कई विद्वानों के अनुसार कलयुग का अंत समय आ गया है। पुराणोंमें कलयुग के अंत समय का उल्लेख मिलता है। 
 
श्रीमद्भागवत पुराण के द्वादश स्कंथ के अध्याय दो और श्लोक 24 में बताया गया है कि कलयुग कब समाप्त होगा।
 
यदा चन्द्रश्च सूर्यश्च तथा तिष्यबृहस्पती ।
एकराशौ समेष्यन्ति भविष्यति तदा कृतम् ॥-भागवत पुराण 12.2.24
अर्थात : जब चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति कर्कट नक्षत्र में एक साथ होते हैं, और तीनों एक साथ चंद्र भवन पुष्य में प्रवेश करते हैं- ठीक उसी क्षण सत्य, या कृत का युग शुरू होगा। (यानी कलयुग का अंत होकर सतयुग प्रारंभ होगा)
 
महाभारत, वन पर्व अध्याय 190, श्लोक 88, 89, 90 और 91 श्लोक में भी यही कहा गया है। जब तिष्य में चंद्र, सूर्य, और बृहस्पति एक राशि पर समान अंशों में आवेंगे तो सतयुग प्रारंभ होगा। उपरोक्त संदर्भ के अनुसार तिष्य शब्द के दो अर्थ है। पौष मास या पुष्य नक्षत्र। पौष का अर्थ लेते हैं तो सन् 1942 में सतयुग प्रारंभ हो चुका है, क्योंकि ग्रह तारों की ऐसी स्थिति तभी बनी थी। पुष्य का अर्थ लेते हैं तो यह योग कृष्ण अमावस्या संवत 2000 में बना था। तब कलयुग समाप्त होकर सतयुग का प्रारंभ हो गया था। यानी ठीक 4800 वर्ष के बाद यह घटना घटी।
 
भविष्य मालिका के अनुसार धरती 3 चरणों से गुजर रही है। पहला कलयुग का अंत होगा, दूसरा महाविनाश होगा और तीसरा आएगा एक नया युग। कलयुग का अंत हो चुका है और महाविनाश का समय चल रहा है और इसके कुछ काल बाद नए युग का प्रारंभ होगा। 
 
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