हे पांचाली द्रौपदी! प्राचीन काल में गुणी व धर्मपरायण एक ब्राह्मण रहता था। उसके चार पुत्र तथा एक गुणवती, सुशील पुत्री थी। पुत्री ने विवाहित होने पर करवा चतुर्थी का व्रत किया, किंतु चंद्रोदय से पूर्व ही उसे क्षुधा ने बाध्य कर दिया, इससे उसके दयालु भाइयों ने छल से पीपल की आड़ में कृत्रिम चाँद बनाकर दिखा दिया। कन्या ने अर्घ्य दे, भोजन किया। भोजन करते ही उसका पति मर गया।