1. सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें और सास द्वारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। सरगी में प्याज और लहसुन से बना भोजन न खाएं।
4. 8 पूरियों की अठावरी बनाएं। हलवा बनाएं। पक्के पकवान बनाएं।
5. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेशजी का स्वरूप बनाइए। मां गौरी की गोद में गणेशजी का स्वरूप बैठाएं। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।
8. गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा कर इस मंत्र का जाप करें- 'नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।' ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं। हर क्षेत्र के अनुसार पूजा करने का विधान और कथा अलग-अलग होती है इसलिए कथा में काफी ज्यादा अंतर पाया गया है।