karva chauth rules: प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 1 नवंबर 2023, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन अविवाहिताएं या कुंवारी युवतियां अच्छे वर की कामना से यह व्रत रखती हैं तथा विवाहिता महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
आइए जानते हैं इस व्रत के 10 खास नियमों के बारे में-
1. शास्त्रों के अनुसार केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति ये व्रत रख सकते हैं।
2. करवा चौथ के दिन किसी भी प्रकार का क्रोध तथा गृह कलेश की सख्त मनाही है।
3. करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। चंद्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत का विधि-विधान से पारण करना चाहिए। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो जल पी सकते हैं।
4. इस व्रत में मिट्टी के करवे लिए जाते हैं और उनसे पूजा की जाती है। करवा चौथ की पूजा में करवा माता के अतिरिक्त भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा की जाती है।
5. संध्या के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पूर्व शिव-परिवार यानी शिव-पार्वती जी, गणेश-कार्तिकेय जी तथा नंदी) सहित सभी की पूजा की जाती है। इसके अलावा चंद्रदेव की पूजा करना भी जरूरी है।
6. पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा महिला को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इस व्रत के दौरान महिलाओं को लाल या पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए। काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। इस दिन पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए यानी सुहागिन महिलाओं को 16 श्रृंगार करना चाहिए।
7. इस व्रत में कहीं सरगी खाने का रिवाज है, तो कहीं नहीं है। अत: अपनी परंपरा के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए। सरगी व्रत के शुरू में सुबह दी जाती है। एक तरह से यह आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा देती है।
8. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है और संतान सुख मिलता है। अत: व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है।
9. करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में अवश्य रखें। तथा इस दिन कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिए।
10. चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को, इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं। कुआंरी महिलाएं चंद्र की जगह तारों को देखती हैं। तथा चंद्रदेव निकल आने दें उन्हें देखने के बाद अर्घ्य देती है। इस दिन पारण के समय अच्छा भोजन करना चाहिए।
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