फल मंडी की
आमसभा में
पपीता था गुर्राया
छोटू का मन हुआ उदास,
फेल वही, बाकी सब पास...
छम-छम करता आया पानी ,
झर-झर करता बहता पानी ।
बिजली चमकी बादल गरजे ,
सरदी ।
धीरे-धीरे चल दी।
सूरज ने हवा में -
कितनी आग भर दी?
हाथी जागा सुबह सवेरे
देखा गड़बड़ सपना
पिकनिक चलना खुशी मनाना
जीवन का आनंद है लेना।
जंगल में अपनी ताकत का
मुझको था बड़ा ही घमंड
फँस गया एक दिन जाल में
हाथी पर हुई सवार
रंग-बिरंगी तितली
हाथी बोला 'पीठ दर्द से
टिंकू खूब नहाता था
पानी व्यर्थ बहाता था।
ट्यूबवेल था जो घर में
पानी दिन भर आता था।
कितनी सुंदर, कितनी प्यारी,
हिंदी हर भाषा से न्यारी।