होली पर कविता : मक्खी मच्छर की होली

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

शुक्रवार, 14 मार्च 2025 (14:43 IST)
मक्खी ने पिचकारी में रंग,
भरकर मारा मच्छर पर।
 
रंग देखा तो मच्छर भाई,
भगे पैर सिर पर रखकर.।
 
तभी सामने से तितली ने,
पकड़ लिया था मच्छर को।
 
रँगे गए मच्छर भाई तो,
मक्खी हंसी खूब हो- हो।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी