होली की रंगबिरंगी कविता : पिचकारी...

पापा दो पिचकारी लाना,
लाना लाल गुलाल।


 
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,
औरों को करेंगे लाल।
 
गांव-गली में घूम-घूमकर,
जम के उधम मचाएंगे।
गुझिया-पूड़ी-पकौड़ी भी,
यारों के संग मिल खाएंगे।
 
हंसी-खुशी से मनेगा अपना,
होली का प्यारा त्योहार।
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,
औरों को करेंगे लाल।
 
न कोई नशेड़ी घर आएगा,
न नशेबाज घर जाएंगे।
न पिचकारी मारेंगे उस पर,
न माथ गुलाल लगाएंगे।
 
नशामुक्त हो रंग के खेलेंगे,
औरों को सबक सिखाएंगे।
तभी मनोरथ सिद्ध होएंगे,
मिलेगी खुशियां अपरंपार।
 
रंग-बिरंगे खुद हो जाएंगे,
औरों को करेंगे लाल।
 

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