- गिरेन्द्रसिंह भदौरिया 'प्राण'
तोतापरी, दशहरी, लंगड़ा, हापुस, नीलम, लालमुंहां।
केशर, देशी, खट्टा, चौसा, कलमी क्या बादाम यहां।।
एक टोकरी में आ बैठे शुरू हो गई आम सभा।
काजू किशमिश के संग रहता एक और बादाम बुरा।।
आमों के राजा लंगड़े की शुभ काया, पर नाम बुरा।
उसको सब लंगड़ा कहते हैं, बद अच्छा बदनाम बुरा।।
केसर, देशी, खट्टा-मीठा सुनते-सुनते ऊब गए।
नीलम, कलमी, लालमुंहें सब खुसुर-पुसुर में डूब गए।।
तब बंबइयां संचालक ने सभाध्यक्ष को याद दिया।