लौट आओ गौरेया के तुम बिन,
	ये आंगन सूना लगता है!
	 
	छत की मुंडेर पर वो तेरा फुर्र से आना,
	कहां खो गया वो तेरा ची-ची कर शोर मचाना!
	छोटी सी चोंच में तिनका-तिनका लाना,
	और अपने लिए प्यारा सा घरौंदा बनाना!
	फुदक-फुदककर साथियों से ठिठौली करना!
	पेड़ों से छत पर आना और चोंच में दाना,
	लेकर फुर्र से उड़ जाना!
	 
	लौट आओ गौरेया के तुम बिन,
	ये आंगन सूना लगता है...!!