अरे, अरे मैं तो गया रे...

लंदनहेलमकिचमियर ने एक शो की प्रस्तुति के लिए डॉ. राबर्ट से सम्मोहन (हिप्नोटिज्म) की कला सीखी। वह बड़ा खुश था कि उसे सर्कस में जो हॉरर-शो प्रस्तुत करना है उसमें अब वह कमाल कर देगा। घर में एक सुबह हेलमट ने आईने के सामने खड़े होकर इस कला को आजमाया। सम्मोहन की कला ने अपना काम किया और हेलमट खुद ही सम्मोहित हो गए। हेलमट की पत्नी ने उन्हें आवाज दी तो पाया कि वे तो गहरी नींद में सो रहे हैं। पत्नी ने उन्हें उठाने की बहुत कोशिश की पर कोई असर नहीं।

पत्नी को शक हुआ क्योंकि पति महाशय कभी इतनी गहरी नींद में नहीं सोते थे। पत्नी ने देखा कि सोफे पर सम्मोहन कला पर एक किताब खुली पड़ी है और खर्राटे की आवाज आ रही है। पत्नी घबराई। किताब में डॉ. राबर्ट का नंबर भी था। पत्नी ने तुरंत उन्हें फोन किया। डॉ. रॉबर्ट ने फोन पर ही हेलमट के कान में कुछ कहा और फिर हौले-से हेलमट की नींद टूटी। पत्नी की जान में जान आई।

बहरहाल हेलमट दूसरों को सम्मोहित करना चाहते थे पर खुद को ही सम्मोहित कर बैठे। इसके बाद हेलमट अस्पताल में रहे और सर्कस के शो में दर्शकों के सामने प्रस्तुति भी नहीं दे पाए। इतना सब होने के बाद हेलमट ने पत्नी को वे लाइनें भी बता दीं जिन्हें बोलकर ऐसी स्थिति पड़ने पर उन्हें उठाया जा सके। हेलमट ने कान पकड़ लिए हैं कि अब वे अकेले में इस कला को नहीं आजमाएँगे बल्कि जब भी ऐसी कोई कोशिश करेंगे तो पत्नी की उपस्थिति में ही करेंगे।

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