खूबसूरती का पर्याय समझा जाने वाला चाँद क्या कभी बर्बादी का बायस बन सकता है? यदि 'सुपरमून' से जुड़ी कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो मन में फिर यही बात आती है कि 'चाँद में दाग' है।
इंटरनेट पर कुछ दिनों से एक चर्चा चल रही थी, मगर यह सच होगी इसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी। पिछले दिनों यह चर्चा जोरों पर थी कि चाँद मार्च महीने में पिछले 20 बरसों में पृथ्वी के सबसे करीब होगा और 'बड़ा' नजर आएगा। यह भी आशंका जताई गई थी कि यह 'बड़ा चाँद' पृथ्वी पर भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ ला सकता है।
उल्लेखनीय है कि 19 मार्च को चंद्रमा पृथ्वी से मात्र दो लाख 21 हजार 556 मील दूर होगा। इसी खगोलीय घटना को वैज्ञानिक 'सुपरमून' का नाम देते हैं। इससे पहले 1955, 1974, 1992 और 2005 में 'सुपरमून' की परिस्थितियाँ बनी थीं और आँकड़े गवाह है कि दुनिया के कई हिस्सों में तबाही का भयानक मंजर छा गया था।
साल 1938 में सुपरमून आया और न्यू इंग्लैंड में चक्रवात ने भयंकर तबाही मचाई थी। साल 1955 में सुपरमून के आने की खबर के साथ हंटर वैली में बाढ़ और बारिश ने कहर बरपाया था। साल 1974 में एक बार फिर सुपरमून आया और 'ट्रेसी' साइक्लोन ने ऑस्ट्रेलिया के डार्विन शहर लगभग नेस्तनाबूद हो गया था।
सुपरमून के चमकने से कुछ समय पहले 26 दिसंबर 2004 को सुनामी आई थी। जिसके बाद भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, सुमात्रा आदि में लाखों लोग काल के गाल में समा गए थे। वहीं 2005 में कैटरीना तूफान ने भी अमेरिका में जमकर कहर बरपाया था। इसी साल जापान में भी मार्च और अगस्त में शक्तिशाली भूकंप आए थे।
हालाँकि वैज्ञानिक 'सुपरमून' से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का कोई संबंध नहीं मानते है। उनके मुताबिक यह महज एक संयोग हो सकता है। लेकिन वे इस बात से इनकार नहीं करते कि इस दिन समुद्र में बड़े ज्वार उठ सकते हैं। इस पर यदि मौसम भी खराब तो किसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अब भले ही वैज्ञानिक सुपरमून से किसी भी तबाही से इनकार करते हों, लेकिन आँकड़े तो निश्चित ही परेशान करने वाले हैं। (वेबदुनिया)