सूप से साँपों पर आई आफत

सोमवार, 3 जनवरी 2011 (11:58 IST)

एक मिथक ने साँपों पर मुसीबत ला दी है। साँप के सूप से कामशक्ति में वृद्धि की अवधारणा ने साँपों पर बड़ा संकट खड़ा किया है। इस विश्वास ने साँपों की तस्करी को पिछले कुछ समय में खूब बढ़ावा दिया है। बिहार के सीमांचल से बड़ी संख्या में विषैले सरीसृप तस्करी द्वारा नेपाल भेजे जा रहे हैं। ऊपर से सर्प विष से दवाओं के निर्माण और खाल से कीमती जैकेट और जूते बनाए जाने के चलन ने विदेशों में विषैले साँपों की कीमत खूब बढ़ाई है। ऐसे में जंगलों से साँप पकड़ने में सपेरों की मदद ली जा रही है और फिर तस्करों का गिरोह साँपों को सीमा पार भेज रहा है। बड़े पैमाने पर हो रही इस तस्करी से साँपों की कई प्रजातियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया है। पर्यावरण संतुलन के मद्देनजर जंगलों में साँपों की मौजूदगी जरूरी है लिहाजा पर्यावरणविदों की भी चिंताएं बढ़ी हैं।

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नेपाल और बांग्लादेश की सीमा से सटे पूर्वोतर बिहार के सीमांचल क्षेत्र में साँपों के तस्करों ने जाड़े में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। चूंकि इस मौसम में साँप बिलों से बाहर कम निकलते हैं इसलिए उन्हें पकड़ने में संपेरों की मदद ली जा रही है। धान कटने के बाद खेतों और खलिहानों में भी साँपों को पकड़ना आसान हो गया है। चूहे के बिलों, वृक्षों के कोटर में छिपे साँपों को सपेरों व स्थानीय लोगों की मदद से निकालकर तस्कर नेपाल व बांग्लादेश के रास्ते इन्हें चीन और अन्य देशों में भेज रहे हैं जहां उन्हें इसकी मुंहमांगी कीमत मिल रही है।

साँप जितना जहरीला होता है, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उसकी कीमत उतनी अधिक होती है। राज्य के तस्करों को अंतर्राष्ट्रीय तस्कर प्रति साँप 25 से 30 हजार रुपए तक भुगतान कर रहे हैं क्योंकि विषैले साँपों की कीमत विदेशों में लाखों में है। इस तस्करी का ही नतीजा है कि तीन दशक पूर्व तक सीमांचल में जहां जहरीले साँपों की तादाद लाखों में थी वहां अब उनका अस्तित्व संकट में पड़ गया है। जहां तक बिहार के सीमांचल इलाकों में मिलने वाले साँपों का सवाल है तो यहां किंग कोबरा, करैत, बोआ, धामन, घोड़ करैत और वृक्षों पर रहने वाले सुगवा जैसे जहरीले साँपों के अलावा गणगुआरि, हरहरा और पानी में रहनेवाले ढोढ़िया जैसे कम खतरनाक साँप पाए जाते हैं।

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इसके अलावा बाढ़ के दिनों नेपाल के पर्वतीय ढलानों से बहकर आने वाले कई प्रकार के जहरीलें साँप भी यहां मिल जाते हैं। ऐसे साँप धान के खेतों में छिपे पाए जाते हैं। इन साँपों को जंगलों की अंधाधुंध कटाई से संकट झेलना पड़ रहा है। रिहाइशी इलाकों एवं खेत-खलिहानों में वे आसानी से दिख जाते हैं जिससे उन्हें आसानी से पकड़ लिया जाता है। स्थानीय लोगों के विरोध से बचने के लिए तस्कर यह प्रचारित करते हैं कि एड्स और कैंसर जैसे लाइलाज रोगों की दवा बनाने के लिए वे साँप पकड़ते हैं।
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जबकि हकीकत यह है कि चीन, जापान एवं अरब के देशों में इन साँपों से कामोत्तेजक दवाएं बनाई जा रही हैं। अय्याशों की जमात यौन क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी थाली में साँपों के मांस और सूप को शामिल कर रही है। चीन के नामचीन पांच सितारा होटलों में साँपों का मांस परोसा जाता है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब नेपाल से साँप की तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ पूर्णिया पुलिस ने किया। पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक नैयर हसनैन खान के निर्देश पर पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग के दौरान पर्दा लगे एक वाहन से इंडियन एग इटिंग स्नैक बरामद किए गए। इन जहरीले साँपों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपए आंकी गई है। वन विभाग ने इन साँपों को जांच के लिए संजय गांधी जैविक उद्यान पटना के सुपुर्द कर दिया है। इंडियन एग इटिंग स्नैक आम तौर पर खेतों, घने जंगलों एवं समुद्र के तटीय क्षेत्र में फैले रेत पर उगी घास में पाए जाते हैंᅠ। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार यह साँप मनुष्य की छांव से भी दूर भागता है लेकिन सामने आने पर बेहद आक्रामक हो जाता है। यह सर्प अगर किसी को काट ले तो उसकी तत्काल मौत हो जाती है।

हसनैन खान के मुताबिक जिस तरह एक विशेष वाहन में गुपचुप तरीके से साँप ले जाए जा रहे थे उससे यह साफ हुआ कि साँपों की तस्करी बदस्तूर जारी है।ᅠपुलिस ने साँप तस्करी से जुड़े पूरे गिरोह के भंडाफो़ड़ के लिए एक विशेष टीम के गठन का निर्णय लिया है। पूर्णिया पुलिस द्वारा जब्त किया गया साँप विलुप्त होती प्रजाति का है। यह साँप पांच फुट से अधिक लंबा है। पूर्णिया वन विभाग के वनपाल विष्णु कुमार मल्लिक के अनुसार देश में पाए जाने वाले सभी प्रजाति के साँपों में इंडियन एग इटिंग स्नैक सर्वाधिक जहरीला साँप है। यह साँप असम के अलावा बिहार और झारखंड के कुछ क्षेत्रों में ही पाया जाता है। इस साँप की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खूब मांग है। साँपों की तस्करी में शामिल वाहन के चालक शंभू यादव से पुलिस पूछताछ कर रही है। शंभू जानकीनगर थाना के चकमका गांव का रहनेवाला है।
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अब तक की पूछताछ से पुलिस को यह पता चला है कि साँपों को नेपाल ले जाया जा रहा था तथा पकड़े गए तस्करों में से एक का पहले से ही आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। पुलिस मान रही है कि साँपों को नेपाल के रास्ते चीन भेजने की योजना थी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सीमांचल से इंडियन कोबरा और एग इटिंग स्नैक की बड़े पैमाने पर तस्करी चल रही है। चूंकि साँपों को पिटारे में छिपा कर ले जाया जाता है इसलिए तस्कर आसानी से पकड़ में नहीं आते। ताजा बरामदगी के बाद वन विभाग सतर्क है और साँप तस्करों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। वन विभाग सर्प तस्करों के खिलाफ अब विशेष अभियान चलाएगा जिसके लिए टास्क फोर्स का भी गठन किया जा रहा है। ᅠ

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