धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां पहले घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : पहले खाने में गुरु का होना अर्थात गद्दी पर बैठा साधु, राजगुरु या मठाधीश समझो। ऐसे जातक की जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी दौलत भी बढ़ती जाएगी। यदि गुरु पहले भाव में है तो दौलत का असर खतम, लेकिन अपने हुनर से प्रसिद्ध पा सकता है। उसकी प्रसिद्ध ही उसकी दौलत होती है। ऐसे व्यक्ति का भाग्य दिमागी ताकत या ऊंचे लोगों के साथ रहने से बढ़ता है। यदि चंद्रमा अच्छी हालत में है तो उम्र के साथ सुख और सम्रद्धि बढ़ती जाती है।
पहले घर का बृहस्पति जातक को धनवान बनाता है, भले ही वह सीखने और शिक्षा से वंचित हो। ऐसे व्यक्ति पने स्वयं के प्रयासों, मित्रों की मदद और सरकारी सहयोग से तरक्की करता जाएगा। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो विवाह के बाद सफलता और समृद्धि मिलती है। यदि सातवें भाव में शत्रु ग्रह हो तो उपरोक्त कही गई बातों की कोई गारंटी नहीं। बृहस्पति पहले भाव में हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक को स्वाथ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। बृहस्पति पहले भाव में हो और राहु आठवें भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण हो सकती है।
5 सावधानियां :
1. यदि शनि पांचवें घर में होतो खुद का मकान न बनाएं
2. शनि नौवें घर में है तो स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
3. राहु यदि आठवें या ग्यारहवें घर में होतो पिता का ध्यान रखें।
4. झूठ ना बोलें और पिता, दादा और गुरु का आदर करें।
5. विवाह या अपनी कमाई से चौबीसवें या सत्ताइसवें साल में घर बनवाना जातक की पिता की उम्र के लिए ठीक नहीं होगा।
सत्य बोलना। आचरण को शुद्ध रखना।
क्या करें :
1. जातक को गाय व अछूतों की सेवा करनी चाहिए।
2. ज्यादा मंदा हो तो नाक में चांदी पहनें।
3. बुध, शुक्र और शनि से सम्बंधित वस्तुएं धार्मिक स्थानों में बांटे।