धनु और मीन का स्वामी गुरु कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है। लाल किताब में चौथे भाव में गुरु बलवान और सातवें, दसवें भाव में मंदा होता है। बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। लेकिन यहां दूसरे घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें और उपाय करें, जानिए।
कैसा होगा जातक : दूसरे घर का गुरु जगतगुरु कहलाता है। सबको तारने वाला तारणहार। यदि केतु छटे भाव में है तो ऐसे व्यक्ति को अपनी मौत का पता रहेगा। पत्नी खुबसूरत होगी। यदि सूर्य दसवें में होतो प्रसिद्धि प्राप्त करेगा, लेकिन शर्त यह कि वह सावधानियां रखें और शुक्र को सही करें।
क्योंकि दूसरे भाव का गुरु उस घर में बैठा होता है जिसे शुक्र का घर कहा जाता है। अत: भले ही शुक्र कुंडली में कहीं भी बैठा हो इस घर के परिणाम बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होते हैं। शुक्र और बृहस्पति एक दूसरे के शत्रु होने के कारण दोनों एक दूसरे पर प्रतिकूल असर डालते हैं।
ऐसे में यदि जातक सोने या आभूषणों का व्यापार करता है तो पत्नी, धन और संपत्ति के स्थायित्व की कोई गारंटी नहीं लेकिन यदि उसके साथ पत्नी भी मिलकर यह कार्य करती है तो फिर गारंटी है। साथ ही मान सम्मान भी बढ़ेगा। हालांकि इसके बाद भी पत्नी और परिवार को सेहत संबंधी समस्याएं रहेंगी, तो ऐसे में सतर्क रहने की जरूर है। यदि 2, 6 और 8वां घर शुभ हैं और शनि 10वें घर में नहीं है तो जातक लॉटरी या किसी नि:संतान से सम्पत्ति अर्जित करेगा।
5 सावधानियां :
1. सूर्य से संबंधित कोई भी काम न करें।
2. पत्नी की सेहत का ध्यान रखें।
3. झूठ ना बोलें।
4. ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें।
5. यदि आपके घर के सामने की सड़क में कोई गड्ढा है तो उसे भर दें।
क्या करें :
1. केसर का तिलक लगाएं और पीपल में जल चढ़ाएं।
2. भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे, और कुत्ते को दें।
3. स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें।
4. शुक्र या गुरुवार का व्रत रखें। शुक्र को खटाई और गुरु को नमक ना खाएं।