Shani dosh ke upay : लाल किताब की विद्या वैदिक या परंपरागत प्रचलित ज्योतिष विद्या से अलग है। इसमें शनि, राहु या केतु ग्रहों के उपाय अन्य ज्योतिष विद्या से थोड़े भिन्न हैं। सभी ग्रहों के देवी और देवता भी थोड़े बहुत अलग हैं। जैसे कि शनिदेव को शनि ग्रह का स्वामी या देवता माना जाता है परंतु लाल किताब में इसके अलावा भैरव महाराज को भी शनि ग्रह का देवता माना जाता है। इसी प्रकार से इस ग्रह के कारक भी भिन्न है। उन सभी को जानकर ही शनि ग्रह के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है।
आम प्रचलित ज्योतिष विद्या में शनि की कारक वस्तुएं लोहा, तेल, नीलम, काली वस्तुएं जैसे काले उड़द की दाल, काले तील, काली मिर्च आदि। परंतु लाल किताब में इसके अलावा कीकर, आक, खजूर का वृक्ष, जुराब, जूता, लुहार, तरखान, मोची, भैंसा, गीद्ध, मूर्ख, अंधे, मेहतर, अक्खड़, कारीगर ये सभी शनि के प्रतिनिधित्व करते हैं और दृष्टि, बाल, भवें, कनपटी पर इसका असर होता है। इसका गुण देखना, भालना, चालाकी, मौत, जादू मंत्र, बीमारी आदि हैं। मंगल के साथ हो तो सर्वाधिक बलशाली माना जाता है। मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव पक्का घर।
5. भौरव महाराज की सवारी कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने से भी शनिदेव शांत रहते हैं। कौवे या कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाने, छाया दान करने और अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखकर उन्हें दान करने से भी शनि ग्रह के शुभ प्रभाव प्रारंभ हो जाते हैं।
आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवित्रता वर्जित है।