Shani graha in lal kitab : लाल किताब एक प्राचीन विद्या है परंतु पिछले कुछ वर्षों से यह प्रचलन में है। लाल किताब के अनुसार शनि ग्रह की मान्यता आम ज्योतिष मान्यता से थोड़ी भिन्न है। इसी के साथ शनि के प्रकोप से बचने के उपाय भी बहुत कुछ अलग ही है। लाल किताब के अनुसार शनि को जानने से ही आधी समस्या का समाधान तो हो ही जाता है।
पापियों का सरताज शनि : लाल किताब में शनि को पापी ग्रहों का राजा कहा गया है। राहु और केतु उसके सेवक है। यदि यह तीनों ग्रह एक साथ या दो ग्रह एकसाथ हो जाए तो खतरनाक स्थिति बन जाती है। लाला किताब के अनुसार शनि की प्रेमिका है शुक्र ग्रह। शनि के साथ बुध मिलकर उसके जैसा होकर उसकी हां में हां मिलता रहता है। अर्थात् शनि, राहु, केतु, बुध और शुक्र हर शरारत और फसाद की जड़ बन सकते हैं।
दंडाधिकारी शनि : लाल किताब में शनि की एक दूसरी मान्यता भी है कि यह कलियुग का न्यायाधीश है और मनुष्य को उसके पाप और बुरे कार्यों के अनुसार दंडित करता है। लाल किताब के अनुसार दशम और एकादश भाव पा शनि के प्रभाव रहता है। शनि मकर और कुंभ दोनों राशियों का स्वामी है। कुंडली के प्रथम भाव पर मेष राशि का आधिपत्य है और इस राशि में शनि नीच का होता है। शुभ योग होने पर इस भाव का शनि व्यक्ति को मालामाल कर देता है, जबकि अशुभ योग होने पर बर्बाद करके रख देता है। सप्तम भाव में राहु और केतु के होने पर शनि और भी अशुभ फल देता है। यदि दशम या एकादश भाव में सूर्य हो तो, मंगल व शुक्र भी अशुभ फल देने लगते हैं। शनि जिस पर प्रसन्न हो जाए उसे निहाल कर दे और अगर क्रोधी हो जाये तो बर्बाद कर दे।
शनि की कारक वस्तुएं : काला रंग, काला धन, लोहा, मशीन, कारखाना, लोहे के औजार व सामान, तेज नज़र, जादू, मंत्र, जीव हत्या, खजूर, अलताश का वृक्ष, लकड़ी, छाल, ईंट, सीमेंट, पत्थर, सूती, गोमेद, नशीली वस्तु, मांस, बाल, मकान, खाल, तेल, पेट्रोल, स्पिरिट, शराब, चना, उड़द, बादाम, नारियल, जूता, जुराब, चोट, हादसा यह सब शनि से संबंधित है।
शनि से संबंधित जीव : मछली, भैंस, भैंसा, मगरमच्छ, सांप, कारीगर, मजदूर, चुनाई करने वाला जल्लाद, लोहार, मिस्त्री, डाकू, चीर फाड़ करने वाला डॉक्टर, चालाक, चाचा आदि। यह सेवा और नौकरी का कारक होता है।
सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें। उपरोक्त उपाय भी लाल किताब के जानकार व्यक्ति से पूछकर ही करें।