विदेशी पूँजी से दिक्कतें बढ़ीं

बुधवार, 31 अक्टूबर 2007 (17:15 IST)
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि देश में विदेशी पूँजी के बढ़ते प्रवाह से बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। किसी बड़ी अनहोनी को टालने के लिए उचित नियमन और जोखिम प्रबंधन प्रणाली की जरूरत है।

यहाँ फार्च्यून पत्रिका द्वारा आयोजित ग्लोबल फोरम में उद्योग क्षेत्र के दिग्गजों को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि देश में आज विदेशी पूँजी के जबर्दस्त प्रवाह ने दिक्कतें पेश कर दी हैं। हमारे लिए यह पूरी तरह से नई स्थिति है। उन्होंने कहा कि हम विदेशी पूँजी का स्वागत करते हैं, लेकिन हमें यह भी सीखना होगा कि इस पूँजी का प्रबंधन किस तरह किया जाए, उसे प्रणाली में किस तरह सोखा जाए।

वित्त मंत्री ने कहा कि अब जरूरत है कि हम इसके प्रबंधन के लिए उचित नियमन बनाएँ और जोखिम प्रबंधन प्रणाली भी बनाई जाए। इस साल देश में विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) रिकॉर्ड 17 अरब डॉलर का हुआ है। 18 सितंबर को अमेरिका की केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती किए जाने के बाद एफआईआई के निवेश में जबर्दस्त तेजी आई है।

चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जुलाई के दौरान 6.6 अरब डॉलर एफडीआई के रूप में भारत आए, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 3.7 अरब डॉलर देश में आया था। भारत ने इस साल 30 अरब डॉलर की एफडीआई आकर्षित करने का लक्ष्य तय किया था।

अमेरिका के सबप्राइम मॉर्टगेज संकट का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में यह संकट इसलिए खड़ा हुआ क्योंकि अभिनवता के सामने नियमन बिखर गए थे। हम नहीं चाहते कि हमारे यहाँ भी अर्थव्यवस्था में नवाचार के कारण नियम बिखरकर टूट जाएँ। नियम और प्रणाली को जोखिममुक्त बनाना नवाचार की दिशा में पहला कदम हो सकता है। हम लोग अनहोनी को सहन नहीं कर सकते हैं तथा इसे टालने के लिए हमें नवाचार से एक कदम पहले नियमों को स्थापित करना होगा।

चिदंबरम ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों के दौरान देश का निवेश वर्तमान के 35 प्रश की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद अनुपात (जीडीपी) के 40 प्रश तक पहुँच जाएगा। हमें नए माहौल में नियमन पर भी ध्यान देना होगा।

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