इस बार एक भी राखी या राखी बनाए जाने के सामान का आयात चीन से बिलकुल नहीं हुआ और इस अभियान का लाभ यह हुआ कि देशभर में कैट के सहयोग से भारतीय सामान से लगभग 1 करोड़ राखियां निम्न वर्ग एवं घरों में काम करने तथा आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं सहित अन्य लोगों ने अपने हाथों से अनेक प्रकार के नए-नए डिज़ाइन की राखियां बनाईं।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने रविवार को कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश में हर वर्ष करीब 50 करोड़ राखियों का व्यापार होता है जिसकी कीमत लगभग 6 हजार करोड़ रुपए होती है जिसमें से पिछले अनेक वर्षों से चीन से प्रतिवर्ष राखी या राखी का सामान लगभग चार हजार करोड़ रुपए का आता था, जो इस वर्ष नहीं आया। (वार्ता)