दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी आइकिया ने भारत में कदम रख लिया है। हैदराबाद में इस कंपनी ने अपना पहला स्टोर शुरू किया है। भारत में यह कंपनी करीब 10500 करोड़ का निवेश करेगी। दुनिया के 49 देशों में 412 स्टोरों की मौजूदगी वाली आइकिया को स्वीडन के इंगवार कैंपरैड ने शुरू किया था। एक छोटे से फार्म एल्मतरीड पर जन्मे इंगवार कैंपरैड ने अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर आइकिया को दुनिया की नंबर एक फर्नीचर कंपनी बना दिया। इंगवार के सफलता के शिखर पर पहुंचने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।
संघर्षभरा रहा बचपन : एक छोटे से फार्म एल्मतरीड पर जन्मे इंगवार कैंपरैड का बचपन गरीबी में बीता, लेकिन कड़ी मेहनत के दम पर वे दुनिया की नंबर वन फर्नीचर कंपनी का मालिक बन गए। इंगवार केवल 6 साल की उम्र में बाजार से थोक में माचिस उधार खरीदते और घर-घर जाकर बेचते थे। उसके बाद जो पैसे आते, उससे उधार चुका देते। वे इस काम के साथ अपनी पढ़ाई भी करते। जब इंगवार कैंपरैड 10 साल के हुए तो साइकल से यह काम करने लगे। इंगवार कैंपरैड साइकल से गांव के अलावा पड़ोस के गांवों में भी जाने लगे। धीरे-धीरे इंगवार ने माचिस के साथ मछली, क्रिसमस ट्री सजाने की चीजें, बीज, बॉल पॉइंट पेन, पेंसिल आदि बेचना भी शुरू कर दिया।
ऐसे आया आइकिया का आइडिया : इंगवार कैंपरैड को बचपन से ही डिस्लेक्सिया की बीमारी थी। उन्होंने इस बीमारी को अपनी पढ़ाई में बाधा नहीं बनने दिया। एक बार जब उन्होंने क्लास में अच्छा प्रदर्शन किया तो उन्हें पिता से कुछ पैसे इनाम में मिले। इन्हीं पैसों से इंगवार ने 1943 में आइकिया शुरू की। इस समय इंगवार केवल 17 साल के थे।
कबाड़ी बाजार के पहने कपड़े, चलाई सेकंड हैंड कार : आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया की नंबर वन फर्नीचर कंपनी के मालिक इंगवार ने सादगी से अपना जीवन जिया। उन्होंने कभी अमीरी का प्रदर्शन नहीं किया। वे कबाड़ी बाजार से कपड़े पहनकर खरीदते थे और सस्ते रेस्टोरेंट में खाना खाते थे। इंगवार ने जिंदगीभर सेकंड हैंड और पुरानी कार का प्रयोग किया जिसे वे खुद ही चलाते थे और हवाई जहाज में इकोनॉमी क्लास से सफर करते थे। इस कारण उनके गांव के लोग 'कंजूस अंकल' तक कहते थे। इस साल 91 साल की उम्र में इंगवार कैंपरैड का निधन हो गया।