विश्लेषकों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में की गई लिवाली के कारण भारतीय मुद्रा दबाव में रही है। घरेलू शेयर बाजारों की ऐतिहासिक गिरावट ने भी इस पर नकारात्मक प्रभाव डाला। यदि दुनिया की अन्य प्रमुख मुद्राओं के बास्केट में डॉलर टूटा नहीं होता तो रुपए की गिरावट और ज्यादा हो सकती थी। (वार्ता)