रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इस दर का उपयोग करता है। रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (EMI) में कमी आ सकती है।
एमपीसी में आरबीआई के 3 सदस्य और सरकार द्वारा नियुक्त 3 बाहरी सदस्य शामिल हैं। इसके साथ, आरबीआई ने 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। वहीं चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 कर दिया गया है।