एसआईटी ने उच्चतम न्यायालय में सौंपी अपनी पांचवीं रिपोर्ट में कहा है कि बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति नकद में रखी और ली-दी जाती है। विभिन्न देशों में इस संबंध में मौजूदा प्रावधानों तथा विभिन्न रिपोर्टों के मद्देनजर और नकद लेन-देन पर अदालतों की टिप्पणियों को देखते हुए एसआईटी को लगता है कि नकद लेन-देन की अधिकतम सीमा तय किए जाने की जरूरत है, इसलिए एसआईटी ने सिफारिश की है कि तीन लाख रुपए से अधिक के लेन-देन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिये। उसने इस संबंध में एक कानून बनाकर ऐसे लेन-देन को अवैध घोषित करने तथा इनके लिए सजा का प्रावधान करने की सिफारिश की है। (वार्ता)