खतरनाक मंदी की ओर बढ़ रही है दुनिया, वर्ल्ड बैंक की चेतावनी

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2022 (07:40 IST)
वाशिंगटन। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बाद विश्व बैंक (World Bank) के अध्यक्ष डेविड मालपास ने आगाह किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है। उन्होंने गरीबों को लक्षित समर्थन देने का भी आह्वान किया।

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मालपास ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक के बाद कहा कि हमने 2023 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को तीन प्रतिशत से घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है। वैश्विक मंदी कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत हो सकती है।
 
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की समस्या है, ब्याज दर बढ़ रही है और विकासशील देशों में जो पूंजी प्रवाह हो रहा था, वह बंद हो गया है। इससे गरीबों पर असर पड़ रहा है।
 
मालपास ने कहा कि हम विकासशील देशों में लोगों को आगे बढ़ने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में कर्ज बढ़ने का कारण उच्च ब्याज दर है। एक तरफ कर्ज बढ़ रहा है और दूसरी तरफ उनकी मुद्राएं कमजोर हो रही हैं।
 
मालपास ने कहा कि मुद्रा के मूल्य में गिरावट कर्ज का बोझ बढ़ा रही है। विकासशील देशों के समक्ष कर्ज संकट की समस्या है। उन्होंने बहुपक्षीय संस्थान की ओर से गरीबों को लक्षित समर्थन देने का भी आह्वान किया।
 
क्या कहती है IMF की रिपोर्ट : हाल ही जारी आईएमएफ (IMF) की एक रिपोर्ट में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर युद्ध के प्रभाव दिखाई दे रहा है। क्या विकसित, क्या विकासशील सभी देशों का हाल बेहाल है। अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, ब्राजील, इटली, फ्रांस समेत लगभग सभी देशों पर मंदी का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है।
 
भारत से उम्मीद : मंदी की आहट के बीच IMF द्वारा जारी इस रिपोर्ट के बाद दुनिया भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन उसे अभी और मौद्रिक सख्ती बरतने की जरूरत है।
 
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि भारत 2022 में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और 2023 में भी इसके मजबूती से वृद्धि करने की उम्मीद है। इस साल इसकी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने जबकि अगले साल 6.1 प्रतिशत रहने की हमें उम्मीद है। ऐसे में नीतिगत स्तर पर हमें यही लगता है कि राजकोषीय एवं मौद्रिक नीति में सख्ती जारी रहनी चाहिए।’
Edited by : Nrapendra Gupta (एजेंसियां)
 

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