अगले वित्त वर्ष में देश में इस्पात महँगा हो सकता है। इस्पात उद्योग के एक विशेषज्ञ की राय में बढ़ती उत्पादन लागत तथा माँग में वृद्धि से मार्च के बाद इस्पात की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।
एक सम्मेलन के मौके पर टाटा स्टील के क्रय प्रभाग के प्रभारी अमिताभ पांडा ने कहा कि लौह अयस्क और कोकिंग कोयले सहित कच्चे माल की कीमत अगले वित्त वर्ष में वर्तमान स्तर से 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
ऐसे में इस्पात विनिर्माताओं पर इसका बोझ ग्राहकों पर डालने का दबाव बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम में इस्पात की माँग अभी तक आर्थिक मंदी के प्रभाव से उबर नहीं पाई है। वहीं भारत में इस्पात का उठाव बढ़ रहा है, जिससे कंपनियाँ उत्पादन लागत में बढ़ोतरी का बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं।
पांडा ने कहा कि भारत की इस्पात कंपनियों को अगले वित्त वर्ष में कीमतें बढ़ानी होंगी। उन्होंने कहा कि कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी घरेलू इस्पात कंपनियों के मुनाफे के लिए बड़ी चिंता का कारण बनी हुई हैं। ऐसे में यदि इस्पात की खपत में 8-9 प्रतिशत का इजाफा होता है, तो इससे विनिर्माताओं पर दबाव कम हो सकेगा।
इसी तरह की राय जाहिर करते हुए सेल के महाप्रबंधक (सामग्री प्रबंधन) आरएन रावत ने कहा कि कोकिंग कोयले की अनुबंध दर अगले वित्त वर्ष में 200 डॉलर प्रति टन पर पहुँच सकती है, जो फिलहाल 105 डॉलर प्रति टन है।
रावत ने कहा कि कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है। यहाँ तक कि लौह अयस्क भी इस समय 100 डॉलर प्रति टन पर पहुँच चुका है। इससे इस्पात की कीमतें बढ़ेंगी।
पिछले सप्ताह सेल और टाटा स्टील जैसी कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमतों में 2,000 रुपए प्रति टन तक की बढ़ोतरी कर दी थी। वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में उत्पाद शुल्क में की गई दो फीसद की बढ़ोतरी का कुछ बोझ इन कंपनियों ने ग्राहकों पर डाल दिया है। (भाषा)