बीमा नियामक ‘इरडा’ ने बीमा कंपनियों से फिर कहा है कि कोई भी यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पाद (यूलिप) पेश करते समय उसके साथ सुनिश्चित जीवन बीमा कवर रखना जरूरी होगा।
इरडा ने दिसंबर 2005 में यूलिप पर जारी अपने आदेश को दोहराते हुए कल देर रात एक आदेश जारी किया जिसमें ‘सभी तरह के यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पादों के साथ पालिसी धारक की मौत पर सुनिश्चित भुगतान का वादा अवश्य करना होगा। इसमें पेंशन पालिसी भी शामिल हैं।’
पूँजी बाजार नियामक सेबी के साथ यूलिप मुद्दे पर विवाद खड़ा होने के बाद इरडा ने बीमा कंपनियों को यह आदेश जारी किया है। सेबी का दावा है कि यूलिप का नियमन उसके अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए क्योंकि यूलिप भी म्युचवल फंड की तरह ही निवेश उत्पाद हैं।
इरडा ने यूलिप उत्पादों को अपने अधिकार क्षेत्र में बनाए रखने के लिए बीमा कंपनियों से इसमें बीमा कवर को बनाए रखने पर जोर दिया है, हालाँकि उसने कहा है कि स्वास्थ्य बीमा कवर वाले यूलिप उत्पादों में धारक की मृत्यू कवर का लाभ दिया जाना आवश्यक नहीं बल्कि वैकल्पिक है। नियामक ने यह भी स्पष्ट किया है कि यूलिप पर कोई ऋण नहीं दिया जा सकता है।
इरडा ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि व्यक्तिगत यूलिप प्रालिसी की मियाद कम से कम पाँच साल होनी चाहिए जबकि समूह के साथ दिए जाने वाले यूलिप उत्पादों में हर साल उसका नवीनीकरण होना चाहिए।
बीमा नियामक ने कहा है कि पेंशन योजना वाले यूलिप उत्पादों को छोड़कर अन्य सभी तरह के यूलिप उत्पादों के मामले में पाँच साल के बाद ही आंशिक वापसी हो सकती है। पेंशन उत्पादों के मामले में आंशिक वापसी नहीं होगी।
इरडा ने कहा है कि उसे नए संशोधित नियम एक जुलाई 2010 से लागू होंगे। यूलिप उत्पादों को लेकर समस्या तब खड़ी हुई जब सेबी ने इन्हें म्युचुअलफंड के समान बताकर निजी क्षेत्र की 14 बीमा कंपनियों पर नए यूलिप जारी करने पर रोक लगा दी थी। हालाँकि इरडा ने उसी दिन इन कंपनियों से सेबी को आदेश को नहीं मानने के लिए कह दिया था।