सीबी सिरीज पर भारत ने लगातार दूसरे फाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर टीम को हराकर साबित कर दिया कि भारत का सिर्फ क्रिकेट बोर्ड ही ताकवर नहीं है बल्कि उसके खिलाड़ी भी दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी टीम को हरा सकते हैं।
भारतीय टीम ने 23 साल बाद ऑस्ट्रेलिया में एकदिवसीय श्रृंखला पर कब्जा जमाया, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ऐसे समय में शिकस्त दी, जबकि दोनों टीमों के लिए यह सिरीज प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी।
इस पूरे दौरे में मेलबोर्न टेस्ट को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मैच ऐसा नहीं हुआ है जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय खिलाड़ियों पर फब्तियाँ न कसी हों। एंड्रयू सायमंड, मैथ्यू हेडन, माइकल क्लार्क, ब्रेड हॉग अपनी जबान से जहर उगलने में माहिर हैं, लेकिन हर भारतवासी को इस बात की खुशी है कि कंगारुओं की तुच्छ और जहरीली भाषा का जवाब टीम इंडिया ने अपने खेल से दिया।
अस्सी के दशक के बाद से ऑस्ट्रेलिया जब भी अपने घरेलू मैदान में त्रिकोणीय श्रृंखला में उतरी उसने बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल में खेलते हुए बहुत कम ही तीसरे फाइनल की जरूरत पेश आने दी। मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम ने ज्यादातर मौकों पर पहले दो फाइनल जीतकर विपक्षी टीम का मनोबल पूरी तरह खत्म कर दिया, लेकिन टीम इंडिया ने इस बार कंगारुओं को झकझोरते हुए उनके घर में उन्हें उन्हीं की शैली में जवाब दिया।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के निदेशक माल्कम स्पीड ने सिडनी टेस्ट के बाद उपजे विवाद में भारत को खरीखोटी सुनाते हुए कहा था कि सबसे धनवान क्रिकेट बोर्ड की टीम पहले खुद को मैदान में साबित करे और अच्छा क्रिकेट खेलकर दिखाए। भारत ने जिस तरह से प्रभावी प्रदर्शन करते हुए सीबी सिरीज जीती है, उससे स्पीड के साथ-साथ उन लोगों को भी जवाब मिल गया होगा जो बीसीसीआई पर अपने रसूख का गलत फायदा उठाने का इल्जाम लगाते रहे हैं।
इस सिरीज में भारतीय युवा खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाया। ईशांत शर्मा, प्रवीण कुमार, रोहित शर्मा, गौतम गंभीर, रॉबिन उथप्पा इस सिरीज में अपने दमदार प्रदार्शन की बदौलत टीम इंडिया की जरूरत बन गए हैं।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने इस सिरीज के दौरान कंगारुओं को चेतावनी दी थी कि वे सचिन तेंडुलकर से सावधान रहें, लेकिन इस चेतावनी को नजरअंदाज करना ऑस्ट्रेलिया के लिए घातक साबित हुआ। वास्तव में स्टीव वॉ ने सचिन की बल्लेबाजी का रौद्र रूप कई बार देखा है।
वॉ जानते हैं कि वर्ष 1998-99 में शारजाह कप में सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगातार दो एकदिवसीय मैचों में शतक लगाकर ऑस्ट्रेलिया के टूर्नामेंट जीतने के ख्वाब को धूमिल कर दिया था। तब ऑस्ट्रेलिया के कप्तान वॉ ही थे, इसीलिए वे चेतावनी भी दे रहे थे। इस बार भी सचिन ने कुछ ऐसा ही किया कि दोनों फाइनल मैचों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जमकर बल्ला चलाया। सचिन बदकिस्मत रहे कि शारजाह जैसा कारनामा (लगातार दो शतक) वे यहाँ नहीं दिखा पाए। खैर फिर कभी सही...। इस हार के बाद अब पोंटिंग भी भविष्य में ऑस्ट्रेलियाई कप्तानों को नसीहत देंगे कि सचिन से सावधान रहें।