जिम्बाब्वे और केन्या के बीच कल यहाँ होने वाले विश्वकप के ग्रुप ए मैच का परिणाम भले ही क्वार्टर फाइनल में पहुँचने वाली टीमों पर कोई असर नहीं डाले लेकिन इन दोनों टीमों के पास यह प्रभावी प्रदर्शन करने का अंतिम मौका होगा।
ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स पर होने वाला यह मैच जिम्बाब्वे और केन्या के लिए विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलने का अंतिम मौका हो सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की अगले क्रिकेट महाकुंभ से इनमें भाग लेने वाली टीमों की संख्या 14 से घटाकर 10 करने की योजना है।
कनाडा को 175 रन के विशाल अंतर से मात देने वाले जिम्बाब्वे को 2003 विश्वकप के सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली केन्याई टीम के खिलाफ इस मैच का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालाँकि केन्या भी इस विश्वकप में अपनी पहली जीत की तलाश में है।
जिम्बाब्वे ने हालाँकि न्यूजीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाफ काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया था। इन मैचों में उसकी बल्लेबाजी काफी दयनीय रही।
ऑलराउंडर एल्टन चिगुंबुरा की कप्तानी में जिम्बाब्वे का प्रदर्शन प्रभावी नहीं रहा। पाँच में से चार मैचों में इस टीम का शीर्ष क्रम अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहा।
कप्तान चिगुंबुरा ने पाकिस्तान के हाथों मिली सात विकेट की मात के बाद कहा था कि हमने अच्छा क्षेत्ररक्षण किया और गेंदबाजी शानदार रही लेकिन हमारी बल्लेबाजी के बारे में यह नहीं कहा जा सकता। (भाषा)