ऑस्ट्रेलिया के माइकल क्लार्क ने पाँच साल पहले जब पहले ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में शिरकत की थी तो इसका एकमात्र मकसद मनोरंजन था।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने उस मैच में 98 रन बनाए थे और उनकी टीम 44 रन से जीत दर्ज करने में सफल रही थी लेकिन उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या क्रिकेट का यह नया प्रारूप ज्यादा दिन तक टिका रहेगा?
ऑस्ट्रेलिया ने इसके बाद भी टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट को ही तवज्जो दी तथा 2007 में पहले ट्वेंटी-20 विश्व कप में उसकी टीम को जिम्बाब्वे के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वह इस विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत से हार गया था और पिछले साल इंग्लैंड में भी वह वेस्टइंडीज और श्रीलंका के हाथों पराजित होने के कारण तीन दिन के अंदर बाहर हो गया था।
लेकिन अब माइकल क्लार्क की अगुआई में उसकी टीम इस प्रारूप को भी गंभीरता से लेने लग गई है तथा उसने 2010 विश्व कप की शुरुआत पिछले चैंपियन पाकिस्तान पर 34 रन की जीत से की। क्लार्क ने कहा कि इस टूर्नामेंट के लगातार आयोजन से ऑस्ट्रेलिया का ट्वेंटी-20 के प्रति रवैया बदला है।
उन्होंने कहा कि अब इसकी विश्व चैंपियनशिप हो रही है जो अहम भूमिका निभाती है। जब मैंने अपना पहला ट्वेंटी-20 खेला था तो वह न्यूजीलैंड के खिलाफ था और उसके खिलाड़ियों ने मूँछे बढ़ा रखी थी, बाल नहीं काटे थे और मैच खेलने के लिए 1960 के दशक में उपयोग की जाने वाली पोशाक पहनी थी।
क्लार्क ने कहा लेकिन अब सभी इस खेल को गंभीरता से लेने लग गए हैं और इस तरह के टूर्नामेंट में आप अच्छा करना चाहते हो। (भाषा)