पुल और कट पर अच्छी पकड़ है विजय की

नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुरली विजय अभी रणजी ट्रॉफी में पहले विकेट की सबसे बड़ी साझेदारी से चूकने की निराशा से उबरने की कोशिश कर रहे थे कि तभी कोच डब्ल्यू वी. रमन की घोषणा ने उन्हें हैरान कर दिया तथा पुल और कट के धनी इस सलामी बल्लेबाज को एकबारगी अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में अंतिम टेस्ट मैच के लिए भारतीय टीम में चुन लिया गया है।

एम. विजय और अभिनव मुकुंद ने कल रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र के खिलाफ पहले विकेट के लिए 462 रन की भागीदारी की थी लेकिन वह केवल दो रन से दिल्ली के रवि सहगल और रमन लांबा का रिकॉर्ड तोड़ने से चूक गए थे। टीम ने हालाँकि इस उपलब्धि के लिए होटल में केक काटा और उसी समय रमन ने घोषणा की कि विजय को भारतीय टीम में चुना गया है।

यदि रमन के बजाय कोई अन्य यह घोषणा करता तो अप्रैल फूल यानी एक अप्रैल 1984 को जन्में दाएँ हाथ का यह बल्लेबाज इसे मजाक समझता लेकिन यह सच था, क्योंकि चयन समिति के अध्यक्ष के श्रीकांत उनके पुल और कट के तभी कायल हो गए थे, जब वह अंडर-19 में खेला करते थे।

श्रीकांत ने विजय के टीम में चयन के बाद कहा कि यह अंडर-19 का मैच था। विजय बेहतरीन पुल और कट कर रहा था। किसी भारतीय बल्लेबाज को पुल और कट करते हुए देखना बहुत रोमांचित कर देने वाला था। विजय के लिए यह यादगार लम्हा था। उन्होंने कहा कि मैं बहुत रोमांचित हूँ। यह किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वह अपने देश की तरफ से खेले। मुझे विश्वास है कि मैं अच्छा प्रदर्शन करूँगा।

विजय को चयनकर्ताओं ने न्यूजीलैंड ए के खिलाफ और चैलेंजर ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन तथा रणजी ट्रॉफी के पहले मैच में 243 रन बनाने का इनाम दिया। उन्होंने न्यूजीलैंड ए के खिलाफ पहले मैच में 45 और 57 रन बनाए तथा दूसरे मैच की पहली पारी में 98 रन की जुझारू पारी खेली थी। चैलेंजर ट्रॉफी में वह सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में दूसरे नंबर पर रहे थे।

यह भी संयोग है कि सचिन तेंडुलकर ने जिस उम्र में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था उस उम्र में विजय ने क्रिकेट को गंभीरता से भी नहीं लिया था, लेकिन 24 वर्षीय यह खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में साथ रहने का फायदा उठाकर अपने इस आदर्श खिलाड़ी से खूब बतियाना चाहता है।

विजय ने 17 साल की उम्र में क्रिकेट को गंभीरता से लिया और 22 साल में उन्होंने पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला। रणजी ट्रॉफी में उनका पहला मैच दिल्ली के खिलाफ था तथा आशीष नेहरा औ रईशांत शर्मा जैसे गेंदबाजों के सामने उन्होंने 59 और 38 रन की उपयोगी पारियाँ खेली। रणजी के इस सत्र में उन्होंने 50 से अधिक की औसत से 628 रन बनाए और फिर एकदिवसीय मैचों में 277 रन ठोंके।

बैकफुट पर जाकर पुल करने के कारण मोहम्मद अजहरुद्दीन की याद दिलाने वाले विजय ने अब तक 20 प्रथम श्रेणी मैचों में 52.96 की औसत से 1748 रन बनाए हैं, जिसमें दो दोहरे शतक सहित पाँच शतक शामिल हैं। (भाषा)

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