बारिश से बाधित विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों पराजय के बाद श्रीलंकाई कोच टाम मूडी ने भविष्य में क्रिकेट के खिताबी मुकाबलों में ओवरों की संख्या घटाने की बजाए पूरे ओवर खेले जाने की पैरवी की है।
मूडी ने कहा आप फाइनल में पहुँचने के लिए दो महीने तक मशक्कत करते हैं और फिर पूरे 100 ओवर खेलने का मौका नहीं मिले तो क्या फायदा। यह तो ट्वंटी 20 टूर्नामेंट भी हो सकता था, जो सही नहीं है।
फाइनल मैच पहले प्रति टीम 38 ओवर का किया गया, लेकिन दोबारा बारिश होने के बाद श्रीलंका को डकवर्थ-लुईस पद्घति से जीत के लिए 36 ओवर में संशोधित लक्ष्य मिला। माहेला जयवर्द्धने की टीम 53 रन से हार गई।
मूडी ने कहा दो साल की मेहनत और फाइनल में पहुँचने के लिए दो महीने खेलने के बाद पूरे 50 ओवर नहीं मिले। यह अटपटा है। उन्होंने मैच के नाटकीय अंत की भी आलोचना की जब तीन ओवर पहले ही ऑस्ट्रेलियाई जीत के जश्न में डूब गए थे, लेकिन बाद में अंधेरे में बाकी ओवर डाले गए।
उन्होंने कहा हम सभी यह सोच रहे थे कि यदि 20 ओवर हो जाते हैं तो यह मैच पूर्ण होगा। सभी को इसका इल्म था, लेकिन जिन्हें होना चाहिए उन्हें नहीं। हार के बावजूद कोच ने कहा कि उनकी टीम फाइनल जीतने से सिर्फ आधा गर्जं की दूरी पर थी।
मूडी ने कहा ऑस्ट्रेलियाई टीम डर गई थी। फाइनल में पहुँचने के बावजूद उसे इस बात का बखूबी इल्म था कि श्रीलंका क्या कर सकता है। उन्होंने स्वीकार किया कि एक समय श्रीलंका डकवर्थ-लुईस नियम के तहत उलटफेर की फिराक में था।
उन्होंने कहा हमने उन्हें कड़ी चुनौती दी। ओवरों की संख्या घटाये जाने पर भी हम लक्ष्य से भटके नहीं थे। हम जानते थे कि हमें नियम के तहत कितने रन चाहिए। जल्दी रन बनाने के चक्वर में हमने जयसूर्या समेत कई अहम विकेट गँवा दिए।
मूडी ने हालाँकि ऑस्ट्रेलिया के दबदबे को मानने से इंकार नहीं किया। उन्हें हालाँकि इसमें संशय है कि भविष्य में भी वह इसी तरह विरोधियों का सफाया कर सकेगी। उन्होंने कहा वे काफी पेशेवर और अद्भुत टीम है। इसी का मुजाहिरा उन्होंने शनिवार को पेश किया।
कोच ने कहा वैसे टेस्ट क्रिकेट में ग्लेन मैग्राथ की कमी बुरी तरह खलेगी। ग्लेन और वॉर्न के बिना भी वे कामयाब होंगे पर इतनी आसानी से नहीं ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व क्रिकेटर ने अपनी भावी योजनाओं का खुलासा नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस बारे में फैसला लेने से पहले वह श्रीलंकाई बोर्ड से बात करेंगे।