महिला टीम को टेस्ट खेलने का मौका नहीं

मंगलवार, 14 जुलाई 2009 (17:13 IST)
आपको यह जानकर हैरानी होगी भारत ने पिछले तीन साल से एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला है। यह सही है लेकिन बात महिलाओं की हो रही है जिन्हें भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) से जुड़ने के बाद अब तक एक भी टेस्ट मैच खेलने का मौका नहीं मिला है।

भारतीय महिला टीम ने अंतिम टेस्ट मैच अगस्त 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ टांटन में खेला था, जिसमें उसने पाँच विकेट से जीत दर्ज की थी। नवंबर 2006 में भारतीय महिला क्रिकेट संघ का बीसीसीआई में विलय हो गया, जिसके बाद महिला क्रिकेट की दशा सुधरने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।

इसके बाद महिलाओं को अधिक पैसा और एकदिवसीय मैच तो खेलने के लिए मिले लेकिन वह टेस्ट मैच खेलने के लिए तरस गयी जबकि इससे पहले उन्हें साल में एक या दो टेस्ट मैच खेलने को ही मिल जाते थे। रिकार्ड भी बताता है कि भारत ने 2002 से लेकर 2006 तक पाँच साल में नौ टेस्ट मैच खेले लेकिन बीसीसीआई के हाथ में कमान आते ही इस पर विराम लग गया।

भारतीय महिला क्रिकेटर बीसीसीआई से जुड़ने से तो खुश हैं लेकिन उन्हें यह बात जरूर सालती है कि वह न के बराबर टेस्ट मैच खेलती हैं। 'भारतीय महिला क्रिकेट की तेंडुलकर' मिताली राज का उदाहरण देखिये। पिछले आठ साल में वह केवल आठ टेस्ट मैच खेल पाई हैं जबकि अंजुम चोपड़ा के नाम पर 12 साल में 12 टेस्ट मैच दर्ज हैं।

महिला क्रिकेटरों का भी मानना है कि यदि टेस्ट मैच अधिक आयोजित किये जाते हैं तो फिर महिला क्रिकेट में भी सुधार होगा। मिताली ने कहा कि कई बार लगता है कि हम कम टेस्ट मैच खेलते हैं लेकिन हम एकदिवसीय मैच अधिक खेलती हैं।
मुझे लगता है कि यदि महिलाओं के लिए भी अधिक टेस्ट मैच आयोजित किए जाते हैं तो इससे महिला क्रिकेट में काफी सुधार होगा। महिला क्रिकेट के प्रति यह सौतेला व्यवहार अकेला बीसीसीआई ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से लेकर तमाम क्षेत्रीय बोर्ड कर रहे हैं।

आईसीसी ने महिलाओं के लिए ट्‍वेंटी-20 विश्व कप को पुरुष टूर्नामेंट के साथ आयोजित करवाने का फैसला तो किया लेकिन पिछले तीन साल में केवल तीन टेस्ट मैचों का आयोजन दिखाता है कि क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था भी महिला क्रिकेट के इस पहलू को अधिक तवज्जो नहीं देती।

टेस्ट मैच के नाम पर महिलाओं ने यदि पिछले तीन साल में तीन टेस्ट खेले जबकि इस बीच पुरुषों ने 99 टेस्ट मैच में भाग लिया। महिलाओं का अंतिम टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच वारेस्टर में कल समाप्त हुआ। यह 2009 में महिला क्रिकेट में खेला गया पहला टेस्ट मैच था जबकि पुरुषों ने इस साल अभी तक 21 टेस्ट मैच खेल लिए हैं।

महिलाओं ने टेस्ट क्रिकेट में 1934 में कदम रख लिया था लेकिन उसके बाद कभी कभार ही वह टेस्ट मैच खेल पाई। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया मैच 132वाँ टेस्ट था। भारत ने 1976 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और तब उसे उसके नाम पर 34 टेस्ट मैच दर्ज हैं जबकि इसके बाद से भारतीय पुरुष टीम ने 286 टेस्ट मैच खेले हैं।

अब तक सर्वाधिक 88 टेस्ट मैच इंग्लैंड की महिलाओं ने खेले हैं जबकि उसके बाद ऑस्ट्रेलिया (68), न्यूजीलैंड (45), भारत (34), वेस्टइंडीज (12) और दक्षिण अफ्रीका (11) का नंबर आता है। भारत ने जो 34 मैच खेले हैं उनमें से उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नौ, इंग्लैंड के खिलाफ 12, न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ छह-छह तथा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मैच खेला है।

वैसे रिकॉर्ड के लिए बता दें कि महिला क्रिकेट में सर्वाधिक टेस्ट मैच खेलने का रिकार्ड इंग्लैंड की जेनेटी ब्रिटिन (27 टेस्ट) जबकि भारतीय रिकॉर्ड मध्यक्रम की बल्लेबाज सुधा शाह (21) के नाम पर दर्ज है। पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने भी 20 टेस्ट मैच खेले थे।

एडुल्जी ने बीसीसीआई से जुड़ने के बाद कहा था कि यह सपना सच होने जैसा है। जब हमने खेलना शुरू किया तो हमेशा सोचते थे कि पुरुष क्रिकेटरों को खेलने के लिए इतने अच्छे मैदान क्यों मिलते है। अब महिला क्रिकेट के भी दिन बहुरेंगे और खिलाड़ियों को बहुत लाभ मिलेगा। महिला टेस्ट मैचों के मामले में तो फिलहाल ऐसा नहीं हुआ और स्थिति दयनीय है।

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